जालौन में यमुना किनारे बसे गांवों की हालत खराब, 20 से ज्यादा गांव प्रभावित

रिपोर्ट:- अनुज कौशिक/जालौन

हरियाणा के हथनीकुंड बैराज और राजस्थान के कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद जालौन में यमुना का जलस्तर लगातार तेजी से बढ़ रहा है। वही ललितपुर के माताटीला बांध से भी पानी छोड़े जाने के बाद बेतवा भी खतरे के निशान को पार कर चुकी है।

हालात यह है कि यमुना नदी अपने खतरे के निशान 108 मीटर से 68 सेंटीमीटर ऊँचाई पर बह रही है। जिस कारण यमुना और बेतवा नदी किनारे बसे 20 गांव की हालत खराब हो गई है और उनका जिला मुख्यालय और तहसील से संपर्क कट चुका है साथ ही किसानों की फसल भी पूरी तरह नष्ट हो चुकी है।

बाढ़ का पानी

वही आवागमन के लिए लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है लेकिन अगर बात करें प्रशासन की तो प्रशासन ने अभी तक वहां पर ना तो सुरक्षा के कोई इंतजाम किए हैं ना ही लाइफगार्ड नाव चालकों के पास है। इसके अलावा बाढ़ चौकियां भी वहां पर मौजूद नहीं दिख रही है।

बता दे कि देश भर में बाढ़ से हाहाकार मचा है। जालौन में औसत से भी कम बारिश होने के बाद भी यहां पर बाढ़ से लोग बेहाल है। जिसका कारण है राजस्थान के कोटा बैराज और हरियाणा के हथनीकुंड से पानी छोडा जाना। जिससे यमुना में लगातार जलस्तर बढ़ने के कारण दर्जनों गांवों में बाढ़ का कहर है। किसानो की सैकड़ों एकड़ फसल भी जलमग्न हो चुकी है। वही रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए यहां के लोग नाव से सफर कर रहे हैं।

बता दे कि जालौन का कालपी क्षेत्र यमुना और बेतवा नदी से घिरा हुआ है। यमुना अपने खतरे के निशान 108 मीटर से 68 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है वही बेतवा नदी 122 मीटर से ऊपर बह रही है। वही बढ़े जल स्तर के कारण यहाँ की बीहड़ पट्टी के गांव मंगरौल, गुढ़ा, देवकली सहित दर्जनों गांवों में बाढ़ की स्थित बनी है।

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इन गांवों का सम्पर्क जिला मुख्यालय के साथ तहसील इलाके से भी कट चुका है। यहां के वाशिंदों को अपनी जरूरतों के लिए नाव से सफर करना पड़ रहा है। वहीं इन गांवों में छाए इस संकट से जिला प्रसाशन बेखबर बना हुआ है। प्रशासन की ओर से अभी तक इन गांवों में कोई भी राहत बचाव का कार्य नही किया गया है और न ही किसी प्रकार कोई टीमें बनाई गईं हैं।

20 गांव यमुना के पानी से प्रभावित हो चुके हैं किसानों की फसल पूरी तरह चौपट हो चुकी है किसान आर्थिक तंगी के हालात पर पहुंच चुके हैं। किसानों का कहना है कि इस आपदा के बाद भी कोई भी प्रशासनिक अधिकारी उनका हाल जानने नहीं आया है। वही इस मामले में कालपी के एसडीएम भैरपाल ने कहा कि लगातार निगरानी रखी जा रही है।

लगभग 20 गांव यमुना और बेतवा के पानी से प्रभावित हुए हैं, इनकी फसल के नुकसान का आकलन किया जा रहा है साथ ही शासन स्तर पर इनको जल्द से जल्द मुआवजा दिलाने का काम किया जाएगा और वही बाढ़ चौकी और सुरक्षा गार्ड न होने की स्थिति में उन्होंने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द इन आवागमन वाले मार्ग पर पुलिस अधिकारी और लाइफगार्ड मौजूद किए जाएं।

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