जानें कैसे पड़े अंग्रेजी महीनों के नाम, सच्चाई है बेहद अजीब…

कभी सोचा है की कैलेंडर के बिना जिंदगी कैसी होती? न दिन की खबर होती न महीनों की, इस लिए महीनों का हमारी जिंदगी में बड़ा महत्त्व है।

लेकिन कैलेंडर जुड़े सबसे बड़े रहस्य की शायद आपको जानकारी नहीं होगी कि महीने के नामों का अविष्कार कैसे हुआ? किसने किया? तो जानिए कैसे बने महीनों के नाम जो हमारी जुबान पर रटे हैं।

जनवरी का नाम पहले जेनस था और फिर जनवरी बना। दरअसल जनवरी महीने का नाम रोमन के देवता ‘जेनस’ के नाम पर रखा गया है।

जनवरी
फरवरी महीने का नाम लेटिन के ‘फैबरा’ यानि के ‘शुद्धि के देवता’ के नाम पर रखा गया। वहीं कुछ लोगो का मानना है कि फरवरी महीने का नाम रोम की देवी ‘फेब्रुएरिया’ के नाम पर रखा गया था।

मार्च महीने का नाम रोमन देवता ‘मार्स’ के नाम पर रखा गया, वहीं रोमन में वर्ष की शुरुआत भी मार्च महीने से होती है।

अप्रैल महीने का नाम लेटिन शब्द ‘ऐपेरायर’ से बना है, जिसका मतलब होता है ‘कलियों का खिलना’। रोम में इस महीने में बसंत मौसम की शुरुआत भी होती है जिसमें फूल और कलियां खिलती हैं।

मई महीने के नाम के पीछे कहा जाता है कि रोमन के देवता ‘मरकरी’ की माता ‘माइया’ के नाम पर मई महीने का नाम पड़ा।

रोम के सबसे बड़े देवता ‘जीयस’ की पत्नी का नाम ‘जूनो’ था, और रोम में कहानी प्रचलित है की जूनो से ही ‘जून’ शब्द को लिया गया है।

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रोमन साम्राज्य के शासक ‘जुलियस सिजर’ के नाम पर ही इस महीने का नाम जुलाई रखा गया था। कहा जाता है कि जुलियस का जन्म और मृत्यु इसी महीने में हुई थी।

अगस्त महीने के नाम ‘सैंट आगस्ट सिजर’ के नाम पर रखा गया था।

सितंबर का नाम लेटिन शब्द ‘सेप्टेम’ से बना है, रोम में सितंबर को सप्टेम्बर कहा जाता है।

अक्टूबर महीने का नाम लेटिन के ‘आक्टो’ शब्द से लिया गया है।

नवंबर का नाम लेटिन के ‘नवम’ शब्द से लिया गया है। साल के आखरी महीने दिसंबर का नाम लेटिन के ‘डेसम’ शब्द से लिया गया है।

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