मौनी अमावस्या के दिन क्यों किया जाता है स्नान, जानें महत्व,कथा और विधि…
प्रयागराज। संयम, समर्पण और त्याग के प्रतीक कुंभ के प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। इस दिन मौन स्नान की परंपरा है। मौन स्नान से पूर्व ही कुंभ मेला क्षेत्र श्रद्धालुओं से पट गया है। सोमवती अमावस्या भी होने के कारण इस बार भीड़ काफी बढ़ गई है।
मौनी का स्नान रविवार की आधी रात से ही शुरू हो जाएगा। इसके लिए रविवार के दिन समूचा मेला क्षेत्र जन समुद्र की लहरों से सराबोर होगा। भीड़ का आंकड़ा करीब चार करोड़ तक हो सकता है। मौनी अमावस्या के एक दिन पहले करीब एक करोड़ लोगों का संगम स्नान करना श्रद्धालुओं की सैलाब उमड़ने की गवाही दे रहा है। स्नान का क्रम जारी है। स्नान करने के बाद लौटने वाली की संख्या कम है। दरअसल, संगम क्षेत्र में आने वाला हर व्यक्ति यहां आने के बाद लौटना नहीं चाहता बल्कि मौनी स्नान के बाद ही जाने का मन बना चुका है।
रात से ही शुरू होगा मौन स्नान
माघ की अमावस्या तिथि तीन फरवरी रात 11.12 बजे लगकर चार फरवरी को देर रात 1.13 बजे तक रहेगी। इस बार मौनी अमावस्या को सोमवती अमावस्या का दुर्लभ संयोग लगभग पांच दशक बाद बन रहा है।
सोमवार का दिन, त्रिग्रहीय योग और नक्षत्रों की अद्भुत जुगलबंदी से कुंभ में इस दिन श्रद्धालुओं पर अमृत वर्षा होगी। तिथि विशेष पर मौन रखकर प्रयागराज त्रिवेणी संगम में डुबकी का विशेष माहात्म्य है। इन दिन कुंभ में ब्रह्म मुहूर्त में मौन रखकर संगम में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालु सात पीढ़ियों को तारेंगे।
सोमवार का दिन, श्रवण नक्षत्र, सिद्धि योग के अलावा मकर राशि में सूर्य, चंद्र व बुध का संचरण होने से त्रिग्रहीय योग का संयोग बन रहा है जबकि वृश्चिक राशि में वृहस्पति का संचरण होने से कुंभ योग बन रहा है।
कुंभ क्षेत्र 10 जोन एवं 25 सेक्टर
मेला में सुरक्षा के कड़े प्रबंध हैं। संपूर्ण मेला क्षेत्र को 10 जोन एवं 25 सेक्टर में बांटा गया है। प्रत्येक जोन का प्रभारी अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को तथा प्रत्येक सेक्टर का प्रभार पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी को दिया गया है।
मेले में बनाए गए 40 थानों पर प्रभारी निरीक्षक स्तर के अधिकारी तथा 58 चौकियां पर उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारी तैनात रहेंगे। आपातकाल के लिए 43 फायर स्टेशन व 15 सब-फायर स्टेशनों के साथ 40 फायर वाच टॉवर एवं 96 कंट्रोल वाच टॉवर स्थापित किए गए हैं।
ममता ने शुरू की जंग, विपक्ष के साथ मिलकर केंद्र को हराने की तैयारी…
22 पांटून पुल व 40 स्नान घाट
संगम क्षेत्र को झूंसी क्षेत्र से जोडऩे के लिए 17, अरैल को झूंसी से जोडऩे के लिए तीन और फाफामऊ को नगर से जोडऩे के लिए दो पांटून पुल बनाए गए हैं। श्रद्धालुओं को स्नान कराने के लिए संगम एवं संगम प्रसार क्षेत्र सहित 40 स्नान घाट बनाए गए हैं।
मेल क्षेत्र में 50 पुलिस उपाधीक्षक, 13 अपर पुलिस अधीक्षक, 21 सहायक पुलिस अधीक्षक सहित एक-एक पुलिस अधीक्षक व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भी तैनात हैं। 6500 होमगार्ड व 398 रिक्रूट आरक्षी के साथ 7425 आरक्षी, 756 मुख्य आरक्षी, 696 उपनिरीक्षक व 72 निरीक्षकों की तैनाती की गई है।
एहि प्रकार भरि माघ नहाई
सनातन धर्म में हिंदी के बारह मास में तीन माह यानी माघ, कार्तिक व वैशाख पुण्य संचय के लिहाज से महापुनीत माने जाते हैं। इसमें भी माघ की विशेष महत्ता शास्त्रों में बताई गई है। इस मास अर्थात पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक श्रद्धालु प्रयागराज में हर वर्ष कल्पवास करते हैं।
रामचरित मानस में तुलसीदास लिखते हैं कि ‘माघ मकर गति रवि जब होई, तीरथ पतिहि आव सब कोहि। एहि प्रकार भरि माघ नहाई, पुनि सब निज निज आश्रम जाहि।।’ अर्थात् प्राचीन समय से ही माघ मास में सभी साधक, तपस्वी और ऋषि-मुनि आदि तीर्थराज प्रयाग आकर आध्यात्मिक साधनात्मक प्रक्रियाओं को पूर्ण कर लौटते हैं। यह परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है।
जानें क्या है चिटफंड घोटाला जिसकी वजह से बंगाल है बेहाल…
भारी भरकम अमला
रेडियो शाखा के एक एसआरओ, 2 एडिशनल एसआरओ, 6 एआरओ, 17 आरआई सहित 535 अधिकारी व कर्मचारीगण तैनात हैं। इसी प्रकार अग्निशमन शाखा के एक उपनिदेशक, 10 अग्निशमन अधिकारी, 22 एफएसओ, 49 एफएसएसओ सहित 871 अधिकारी व कर्मचारी तैनात हैं।
पीएसी की 14 कंपनियां व बाढ़ राहत के लिए छह कंपनियां तैनात हैं। सीएपीएफ की कुल 37 टीमें, एनडीआरएफ 10 व एसडीआरएफ की 2 टीमें तैनात की गई हैं। उत्तराखंड पुलिस से भी एक पुलिस उपाधीक्षक, 5 निरीक्षक, 20 उपनिरीक्षक, 35 मुख्य आरक्षी, 65 आरक्षी एवं पीएसी की दो कंपननी तैनात की गई है। साथ ही एसटीएफ की एक टीम, एटीएस की 2 टीम, एनएसजी की 1 एडवांस टीम, बीडीडीएस की 5 टीम, एएस चेक की 18, 12 डॉग स्क्वॉड टीम तथा 2 टीम स्पॉटर्स तैनात हैं। भीड़ को देखते 1000 फोर्स और बढ़ाई जा रही है।