जानिए सेल्फी की कारण सबसे ज्यादा जान गंवाते हैं भारतीय, सामने आई रिपोर्ट…

आज से 5 साल पहले तक ना स्मार्टफोन का क्रेज था और ना ही सेल्फी शब्द से लोग इतने वाकिफ थे। स्मार्टफोन के शुरुआती दौर में लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते थे और वीडियो देखते थे, लेकिन जैसे-जैसे फोन में कैमरे की क्वालिटी सुधरती गई, वैसे-वैसे लोग सेल्फी के दीवाने होते गए।
सेल्फी
बतादे की आज हालत यह है कि फोन में 32 मेगापिक्सल के फ्रंट कैमरे मिलने लगे हैं, जबकि एक साधारण डिजिटल कैमरा में 16 मेगापिक्सल का लेंस मिल रहा है। वहीं सिर्फ 5 सालों में स्मार्टफोन का बाजार इतनी तेजी से बढ़ा कि आज लोग सेल्फी की चक्कर में जान देने से भी नहीं कतरा रहे हैं।

वहीं इंडिया जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसीन एंड प्राइमरी केयर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि 2011 से 2017 तक 259 लोग सेल्फी लेने की चक्कर में अपनी जान गवां बैठे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आंकड़ा सालों-साल बढ़ रहा है।

जहां सेल्फी के कारण अभी तक 159 लोगों की मौत के आंकड़े के साथ भारत सबसे आगे है, जबकि पूरी दुनिया में सेल्फी के कारण होने वाली मौत की संख्या 259 है। उपरोक्त अवधि में रूश में 16 लोगों की और पाकिस्तान व अमेरिका में 14 लोगों की जान सेल्फी के कारण गई।

लेकिन सेल्फी का सबसे ज्यादा क्रेज सेल्फी स्टिक के आने के बाद ही बढ़ा है, क्योंकि पहले लोग ऊंचाई से या ग्रुप में परफेक्ट सेल्फी नहीं ले पाते थे, जबकि सेल्फी स्टिक के आने से लोगों की इस समस्या का समाधान हो गया है और सेल्फी के लिए लोग जान दांव पर लगाने लगे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्हीं 6 सालों में शार्क से हमले में सिर्फ 50 लोगों की मौत हुई है।

दरअसल सेल्फी लेने में महिलाएं सबसे आगे हैं, हालांकि महिलाएं सेल्फी के लिए जान जोखिम में डालने में पीछे हैं। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक युवा पुरुष सेल्फी के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

लेकिन रिपोर्ट में सेल्फी से होने वाली मौत को तीन हिस्सों में बांटा गया है जिनमें डूबने, दुर्घटनाग्रस्त होने और ऊंची जगह से गिरना शामिल है। सेल्फी से होने वाली मौत को ध्यान में रखते हुए गोवा, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों के कई इलाकों को नो-सेल्फी जोन में भी तब्दील कर दिया गया है।

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