जानिए जल्द बाज़ार में आने वाला हैं 5G का जमाना, मोदी सरकार ऐसे जुटाएगी 6 लाख करोड़ रूपये…

मोदी सरकार ने देश के टेलीकॉम सेक्टर में एक नई क्रांति के लिए कमर कस लिया है. 4जी के बाद अब टेलीकॉम सेक्टर पांचवीं पीढ़ी की सेवाओं यानी 5 जी में जल्द ही उतरने की तैयारी कर रहा है. सरकार की इस सबसे महत्वाकांक्षी डिजिटल पहल के तहत स्पेक्ट्रम की नीलामी से 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान है.

5g

बता दें की स्पेक्ट्रम की नीलामी के बाद देश में किफायती 5G सेवाएं शुरू हो जाएगी, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में फाइबर टु द होम (FTTH) इंटरनेट सेवा शामिल है. दूरसंचार मामलों में निर्णय करने सर्वोच्च निर्णायक संस्था डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन (DCC) द्वारा इस योजना को मंजूर कर लिया गया है. इसके तहत करीब 8,600 मेगा हर्ट्ज मोबाइल एयरवेव्स की नीलामी होगी. यह नीलामी इस साल के अंत तक हो सकती है.

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वहीं 5G का मतलब पांचवीं पीढ़ी की मोबाइल नेटवर्क टेक्नोलॉजी है. इससे खासकर इंटरनेट की स्पीड काफी बढ़ जाएगी और बहुत तेज ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध होंगी.

जहां इसकी वजह से हेल्थ, एजुकेशन जैसे सेक्टर में इंटरनेट आधारित सेवाएं देने में आसानी होगी. इससे स्मार्ट ड्राइविंग, स्मार्ट सिटी, स्मार्ट होम, रिमोट सर्जरी जैसी सेवाएं सुलभ हो जाएंगी. ऐसा अनुमान है कि 5 जी में इंटरनेट की स्पीड 4जी से करीब 100 गुना तक हो होगी.

वहीं  वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यदि रिजर्व प्राइस पर ही स्पेक्ट्रम की बिक्री हो तो सरकार को कम से कम 5.8 लाख करोड़ रुपये हासिल हो जाएंगे. हालांकि सरकार नीलामी से ज्यादा से ज्यादा रकम हासिल करना चाहती है. इसके अलावा इस बात पर भी जोर होगा कि टेलीकॉम सेवाएं समावेशी हों यानी शहर, गांव, अमीर-गरीब सब तक इन सेवाओं का लाभ मिले.

5जी को समावेशी और सोशल बनाने की भी योजना है. इसका मतलब यह है कि 5जी का इस्तेमाल स्मार्ट कारों, स्मार्ट सिटी में तो हो ही, ग्रामीण स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सेवाओं में भी इसका इस्तेमाल हो सके.

गौरतलब है कि इसके पहले मोदी सरकार प्रथम के दौरान स्पेक्ट्रम नीलामी सफल नहीं रही थी और केवल 40 फीसदी स्पेक्ट्रम की नीलामी हो पाई थी. इसलिए इस बार डीसीसी ने टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई से इस बारे में सुझाव मांगे थे कि नए दौर की नीलामी किस तरह से की जाए.

दरअसल इस योजना का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि 5जी सेवाओं का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसार सुनिश्चित किया जाएगा. इसके लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) का रास्ता अपनाया जा सकता है. इसके तहत 3 लाख कॉमन सर्विस सेंटर ग्रामीण क्षेत्रों में खोले जाएंगे जिनके द्वारा 1 लाख ग्राम पंचायतों को कम से कम दो वाइफाइ हॉटस्पॉट दिए जाएंगे.

 

 

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