जानिए क्या है सिख फॉर जस्टिस, बार-बार क्यों सामने आता है यह नाम

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का प्रदर्शन देखते ही देखते गणतंत्र दिवस के दिन इतना उग्र और हिंसक हो गया इसकी किसी को कल्पना नहीं थी। किसानों की ओर से निकाले जा रहे ट्रैक्टर मार्च के बाद राजधानी में जो हिंसा हुई उसने न सिर्फ दिल्ली का माहौल बिगाड़ा बल्कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को शर्मसार भी किया। दिल्ली में मंगलवार को अलग-अलग जगहों पर हुई इस हिंसक झड़प में सैकड़ों पुलिसकर्मी घायल हुए। वहीं इस दौरान उपद्रवियों ने लालकिले के अंदर मौजूद झांकियों तक को नहीं बख्शा।

हिंसा के शोर शराबे के बीच जो एक नाम बार-बार सभी को सुनाई दिया वह सिख ऑफ जस्टिस का ग्रुप का था। इसी संगठन ने बीते दिनों बयान जारी करते हुए कहा था कि भारत सरकार की ओर से किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने की अनुमति दी जाए नहीं तो अगर दिल्ली में हिंसा हुई तो उसकी जिम्मेदार सरकार। जब हिंसा हुई तो एक बार फिर इस संगठन का नाम लोगों के जहन में आ गया।
आपको बता दें कि यह वहीं संगठन है जो फिलहाल भारत में प्रतिबंधित है। अमेरिका में बने सिख फॉर जस्टिस की शुरुआत 2007 में हुई थी। इस संगठन का मुख्य एजेंडा पंजाब से अलग होकर खालिस्तान बनाने का है। साल 2019 में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इस पर बैन लगा दिया गया था। इस संगठन पर भारत में देशविरोधी कैंपेन चलाने का आरोप लगाया गया था और UAPA एक्ट के तहत इस संगठन पर बैन लगा था। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार सिख फॉर जस्टिस संगठन पंजाब में लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहा है। दुनिया में कई जगहों पर इस संगठन ने खालिस्तान की मांग को लेकर प्रदर्शन किए जिससे भारत की छवि धूमिल हुई।

अमेरिका में वकील और पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ले चुका गुरपतवंत सिंह पन्नू भी एसएफजे का चेहरा है जो लगातार सुर्खियों में रहता है। गणतंत्र दिवस से पहले गुरपतवंत ने ही हिंसा को लेकर धमकी दी थी। इस संगठन की ओर से ही बीते साल रेफरेंडम 2020 का आयोजन करने का प्रयास भी किया गया था। इसमें दुनियाभर के सिखों को शामिल होने को कहा गया था। इसी के साथ इसके जरिए खालिस्तान बनाने के कैंपेन को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया था।

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