जानिए क्या पश्चिम बंगाल में जय श्रीराम का नारा लगाने की वजह से हुई बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या…

पश्चिम बंगाल एक बार फिर खबरों में है. यहां एक और बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या का मामला सामने आया है. पार्टी का आरोप है कि जय श्रीराम बोलने पर कार्यकर्ता को पीटा गया. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. हत्या का आरोप टीएमसी कार्यकर्ताओं पर लगा है. लेकिन टीएमसी ने इन आरोपों को गलत बताया है.

जानिए क्या पश्चिम बंगाल में जय श्रीराम का नारा लगाने की वजह से हुई बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या...

वहीं पुलिस इसे गैर राजनीतिक मामला बता रही है. अब तक देश के अलग-अलग हिस्सों से खबरें आती थीं कि जय श्रीराम का नारा नहीं लगाने पर पीटा गया. लेकिन अब बीजेपी ने आरोप लगाया है कि जय श्रीराम बोलने पर युवक को इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गई.

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दरअसल पश्चिम बंगाल का जिला है नदिया. स्वरूपगंज इलाके का कृष्णदेव नाथ चेन्नई में शेफ था. 3 जुलाई को लगभग डेढ़ साल बाद घर आया हुआ था. आरोप है कि घर के बाहर नशे की हालत में कुछ युवकों से विवाद हो गया. युवक उसे लेकर कहीं गए. वापस नहीं लौटने पर परिवार के लोगों ने पुलिस को लापता होने की जानकारी दी.

4 जुलाई को कृष्णदेव नाथ सड़क किनारे खून से लथपथ मिला था. उसे अस्पातल पहुंचाया गया.  लेकिन गंभीर थी, तो उसे कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज ले जाया गया.

वहीं इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. पुलिस के मुताबिक परिवार के लोगों ने तीन लोगों के खिलाफ हत्या का आरोप लगाया है, जिसके बाद केस दर्ज कर लिया गया है.

पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस हत्या पर कहा है कि जो लोग ‘जय श्रीराम’का नारा लगाते हैं उनकी या तो हत्या हो जाती है या उन्हें जेल में डाल दिया जाता है.

जहां उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से गृह मंत्री के पद से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की. कहा कि वह राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह नाकाम हो गई हैं. राज्य की तृणमूल सरकार ने बंगाल में एक तरह के आतंक को छूट दी है. बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रीयो ने ट्वीट कर कहा कि बीजेपी का सपोर्ट करने और जय श्रीराम का नारा लगाने की वजह से टीएमसी के गुंडों ने कृष्ण देवनाथ की हत्या कर दी है.

बीजेपी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रही है. गिरफ्तारी की मांग को लेकर बीजेपी ने सड़क पर जाम लगाया और विरोध प्रदर्शन किया. वहीं नदिया जिले के तृणमूल के नेता गौरी शंकर दत्त ने इन आरोपों को खारिज किया है. इसे राजनीति से प्रेरित बताया है. टीएमसी के ग्राम पंचायत प्रमुख सिराजुल शेख का कहना है-

”जय श्री राम का नारा लगाने का इस घटना से कोई संबंध नहीं है. युवक नशे में था. वह महिला के साथ अभद्र व्यवहार कर रहा था. इसी बात को लेकर कुछ लोगों से उसका विवाद हुआ था. टीएमसी का इस मामले से कोई लेनादेना नहीं है. बीजेपी इस मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है.”

दरअसल पुलिस की जांच में नतीजा चाहे जो निकले, लेकिन पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हत्याओं का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है. पहले पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा हुई, फिर लोकसभा चुनाव के दौरान हिंसा हुई और अब चुनाव बीत जाने के बाद भी हिंसा में कोई कमी नहीं आ रही है. कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी सीधे तौर पर राज्य सरकार की है और ऐसे में हो रही हिंसा के लिए सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल का प्रशासन और मुख्यमंत्री हैं.

 

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