जानिए आखिर ऐसा क्या हुआ की वर्ल्ड कप मैच में लोग 1992 की छोड़कर, 2011 की बातें करने लगे…

विश्वकप का 38वां मुकाबला. खेला गया भारत और इंग्लैंड की के बीच. वैसे ये मुकाबला हो तो इंडिया और इंग्लैंड के बीच रहा था, लेकिन निगाहें पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और न्यूज़ीलैंड की टीमें जमाए हुई थीं. सब के सब भारत की जीत की दुआएं मांग रहे थे. हालांकि उनकी दुआ कुबूल नहीं हुई और भारत की 31 रनों से हार हुई.

 

जानिए आखिर ऐसा क्या हुआ की वर्ल्ड कप मैच में लोग 1992 की छोड़कर, 2011 की बातें करने लगे...

 

 

टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने उतरी इंग्लैंड की टीम ने भारतीय गेंदबाजों का मार-मारकर धागा खोल दिया. शुरू से ही इंग्लैंड के दोनों ओपनर्स ने गेंदबाजों की जमकर धुनाई की. वो तो शुक्र हो ‘सर जाडेजा’ का जो के.एल राहुल की जगह फिल्डिंग करने आए और जेसन रॉय का नामुमकिन सा कैच लपक किया. और 160 के स्कोर पर भारत को पहली सफलता दिलाई. वर्ना स्कोर कहां जाकर रुक रहा था ये कहना मुश्किल था.

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लेकिन इस विकेट का टीम फायदा नहीं उठा पाई, इंग्लैंड की टीम कुछ ने धुलाई चालू रखी. 30 से 40 ओवरों के बीच टीम थोड़ा सा धीमा ज़रूर पड़ी लेकिन रही-सही कसर आखिरी के 10 ओवरों में निकाल ली. 50 ओवर खत्म होने के बाद इंग्लैंड की टीम 337 रन बना चुकी थी.

अब बारी इंडियन टीम की थी. फैंस को बहुत उम्मीदें थी कि रोहित और राहुल अच्छी ओपनिंग पारी खेलेंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. राहुल 9 गेंद खेलकर चुपचाप निकल लिए. वो भी बिना खाता खोले. फिर मैदान पर कोहली आए. धीरे-धीरे पारी आगे बढ़ाई. कोहली डाल-डाल तो रोहित पात-पात. दोनों ने संभल-संभल कर टीम की नैय्या बढ़ाने की कोशिश की. लोग-बाग कहने लगे ‘दोनों जिता देंगे’.

वहीं टीम की रफ्तार को ब्रेक लगी. विराट कोहली इस विश्वकप का पांचवां पचासा मारने के बाद प्वाइंट पर कैच दे बैठे. और 66 रन बनाकर ड्रेसिंग रूम की तरफ चल दिए. भारत का स्कोर 146 रन पर दो विकेट हो गया

कोहली के आउट होने के बाद ऋषभ पंत मैदान पर आए. लोग अब उम्मीद कर रहे थे कि भारतीय टीम अब जीत जाएगी. क्योंकि मैदान पर हिट मैन रोहित शर्मा खड़े थे.लेकिन शतक बनाने के बाद वो भी नहीं रुके. स्टैंड में बैठे समर्थकों को समझ नहीं आया कि हुआ क्या. भारत का स्कोर 198 रन पर तीन विकेट हो गया.

इसके बाद 226 के स्कोर पर पंत, फिर 267 के स्कोर पर पांड्या के आउट हुए. फिर भारत का कोई विकेट तो नहीं गिरा लेकिन धोनी और जाधव ने सरेंडर कर दिया. दोनों की बैटिंग में कहीं भी जीत की कोशिश की झलक नहीं मिली. तय 50 ओवर में भारतीय टीम 306 रन ही बना सकी. और 31 रन से इस विश्वकप में पहली हार हुई.

चलिए अब अगर भारत की हार पर मायूस हो रहे हैं तो मत होइए. अब आपके दिल को खुश करने वाली बात बताते हैं. विश्वकप 2011 याद है आपको? आप कहेंगे कैसी बात कर रहे हैं. याद ही होगा. तो इस विश्वकप का 2011 वाले विश्वकप से खास कनेक्शन सामने आया है. वो भी कल वाली हार के बाद.

जहां इस विश्वकप के लीग मुकाबले में भारत की पहली हार हुई. इससे पहले विश्वकप के लीग मुकाबले में भारत की आखिरी हार 2011 में ही हुई थी. उसके बाद भारत विश्व विजेता बना था.

दरअसल साल 2011 वाले विश्वकप के लीग मुकाबलों में बांग्लादेश, आयरलैंड, नीदरलैंड को हराने के बाद दक्षिण अफ्रीका के हाथों भारत की पहली हार हुई थी. हांलाकि इंग्लैंड के खिलाफ मैच ड्रा रहा था. उसके बाद लीग मुकाबले में ही वेस्टइंडीज को हराने के बाद भारतीय टीम क्वार्टफाइनल में क्वालिफाई की थी. उसके बाद ऑस्ट्रेलिया को हराकर सेमीफाइनल में. फिर पाकिस्तान को हराकर भारत ने फाइनल का टिकट कटाया था. फिर आखिर में श्रीलंका हो हराने वाली बात शायद ही कोई क्रिकेट फैन भूल सकता है.

उसके बाद अगले विश्वकप में भी भारत मजबूत टीम मानी जा रही थी. हुआ भी कुछ ऐसा ही. लीग मुकाबले में एक भी हार नहीं हुई. पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, यूएई, वेस्टइंडीज़, आयरलैंड और जिम्बाब्वे भारतीय टीम ने सभी को हराया. फिर क्वार्टरफाइनल मैच में बांग्लादेश को. लेकिन इस बार के विश्वकप में ऑस्ट्रेलिया ने 2011 के विश्वकप का बदला ले लिया. सेमीफाइनल में भारत की हार हुई और विश्वकप के सफर का अंत भी हैं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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