जयंती विशेष : अटल बिहारी वाजपेयी के कुछ बेबाक बोल, ऐसी सत्ता को मैं चिमटे से भी छूना…

आज पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मना रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी(Atal Bihari Vajpayee) एक ऐसे नेता थे जो पार्टी के साथ ही सभी दलों के प्रिय थे। राजनीतिक इतिहास में उनका व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है। अटल बिहारी वाजपेयी की वाणी और भाषणों के लोग कायल रहते थे। वह जब भी सदन या किसी जनसभा में बोलते थे तो लोग उन्हें सुनना चाहते थे।

आइए याद करते हैं अटल बिहारी वाजपेयी के कुछ अमर भाषण

  • अपने इस्तीफे के वक्त उन्होंने कहा था, “आज प्रधानंत्री हूं थोड़ी देर बाद नहीं रहूंगा। प्रधानमंत्री बनते वक्त मेरा हृदय कोई आनंद से उछलने लगा ऐसा नहीं हुआ और ऐसा नहीं है कि सब कुछ छोड़छाड़ के जब चला जाऊंगा तब मुझे दुख होगा।”
  • “हमारे प्रयासों के पीछे 40 वर्षों की साधना है, यह कोई आकस्मिक जनादेश नहीं है। हमने मेहनत की है। यह कोई चमत्कार नहीं हुआ है। यह पार्टी 365 दिन चलने वाली पार्टी है। यह कोई चुनाव के कुकरमुत्ते की तरह खड़ी हुई पार्टी नहीं है।”
  • “मैं पत्रकार होना चाहता था बन गया प्रधानमंत्री। आजकल पत्रकार मेरी हालत खराब कर रहे हैं, मैं इसका बुरा नहीं मानता क्योकि यह मैं पहले कर चुका हूं।”
  • अपने सिद्धातों को लेकर अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि “मैं 40 साल से पार्लियामेंट का मेंबर हूं। मेंबरों ने मेरा बर्ताव देखा है। लेकिन पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधकन करके अगर सत्ता हाथ में आती है तो ऐसी सत्ता को मैं चिपटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा।”
  • अटल जी का मानना था कि पार्टियां चाहे बनें या बिगड़ें, लेकिन देश नहीं बिगड़ना चाहिए. देश में स्वस्थ्य डेमोक्रेसी की व्यवस्था रहनी चाहिए।
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