जानिए जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और इस तरह करें श्रृंगार
श्रीकृष्ण के भक्त पूरी दुनिया में मौजूद हैं। जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन कान्हा ने जन्म लिया था। इस दिन कृष्ण के भक्त उपवास रखते है और रात्रि के समय जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होता है तब कुछ खाते है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का सच्चे दिल से पूजा अर्चना करने पर संतान की प्राप्ति होती है और सबकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वे जन्माष्टमी पर विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
श्री कृष्णजन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्स्व है। जन्माष्टमी भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। हर पूजा पाठ के लिए एक शुभ मुहूर्त होता और उसी मुहूर्त में पूजा समपन्न करनी चाहिए।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और नियम
शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन वृष राशि में चंद्रमा व सिंह राशि में सूर्य था। इसलिए श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव भी इसी काल में ही मनाया जाता है। लोग रातभर मंगल गीत गाते हैं और भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं।
इस बार अष्टमी 14 अगस्त की शाम में 5 बजकर 40 मिनट से शुरू हो रही है, जो कि 15 अगस्त को दिन में 3 बजकर 26 मिनट तक रहेगी.
रात्रि में अष्टमी तिथि 14 अगस्त को होगी। इसलिए इस बार जन्माष्टमी 14 अगस्त को मनाना उत्तम होगा। हालांकि देश के कुछ क्षेत्रों में जन्माष्टमी 15 अगस्त को मनाई जा रही है। वैष्णव संप्रदाय में 15 अगस्त को ही जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा।
मध्य रात्रि में श्रीकृष्ण का जन्म होगा और तभी जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
कैसा हो श्रृंगार
श्री कृष्ण को श्रृंगार बेहद पसंद है। इसलिए आप उनके जन्मदिवस पर उनका खूब प्यार से श्रृंगार करें। श्रृंगार में फूलों का खूब प्रयोग करें।
खासतौर से पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से इनका श्रृंगार करें।
वैसे तो आप श्री कृष्ण पर पीले फूल चढ़ा सकते हैं। लेकिन अगर वैजयंती के फूल कृष्ण जी को अर्पित किये जाएं तो सर्वोत्तम होगा।
श्री कृष्ण के श्रृंगार में इस बात का ध्यान रखें कि वस्त्र से लेकर गहनों तक कुछ भी काला नहीं होना चाहिए। काले रंग का प्रयोग बिल्कुल न करें।