अखिलेश सरकार में हुआ सबसे बड़ा ‘खेल’, अब छिड़ी है महाजंग

जनेश्वर मिश्र पार्कलखनऊ। गोमती नगर स्थित जनेश्वर मिश्र पार्क के सांपों को पकड़ने वाले ‘सपेरों’ की तलाश सरकार कर रही है लेकिन, तलाश कैसे होगी? कैसे पकड़े जाएंगे ये सपेरे? सांपों को पकड़ने के इस खेल में इटावा के सपेरे ही नहीं बल्कि लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के कुछ अधिकारी भी शामिल हैं, जिन्होंने सांप पकड़ने के नाम पर सरकारी धन बटोरा था। दो चरण में कुल 1,484 सांपों को पकड़ने का दावा किया जा रहा है और खर्च रकम 41 लाख बताई जा रही है।

फिलहाल अभी पहले चरण में पकड़े गए सांपों के भुगतान पर सवाल खड़े हो रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि 13 जून 2015 से 29 जुलाई, 2016 तक 884 सांप पकड़े गए थे, जिसमें से बड़े साइज के आठ अजगर थे। एलडीए के सहायक अभियंता (अब सेवानिवृत्त) अनूप शर्मा को सांप पकड़वाने का जिम्मा दिया गया था और इसके लिए मात्र ऑफर पर ही सपेरों का चयन कर लिया गया था। एलडीए ने इस काम के लिए अनूप शर्मा को एडवांस में रकम दी थी। सांप पकड़ने के लिए इटावा के सपेरों को चुना गया था और उन्हें 36.50 लाख का भुगतान भी किया गया। हालांकि जांच कमेटी ने अनूप शर्मा से कोई पूछताछ नहीं की है और जांच रिपोर्ट भी पूरी हो गई है।

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अलग-अलग दावे

एलडीए की मानें तो पकड़े गए 884 सांप लखनऊ चिड़ियाघर भेजे गए थे लेकिन, चिड़ियाघर के उपनिदेशक डॉ. उत्कर्ष शुक्ला का कहना है कि यहां करीब डेढ़ सौ सांप ही आए थे। यहीं यह भी सवाल खड़ा हो गया है कि अगर इतने सांप पकड़े गए तो वह कहां गए या फिर सांपों को पकड़ने का गलत आंकड़ा दिखाकर सरकारी रकम बंदरबांट कर दिया।

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बाद में 11 लाख रुपये का टेंडर

दोबारा एलडीए ने एक जनवरी से 30 जून, 2017 के बीच सांपों को पकड़ने का टेंडर निकाला और किसी आजाद नाम के व्यक्ति को यह काम मिला। एलडीए के सहायक अभियंता डीबी राम कहते हैं कि पहले पकड़े गए सांपों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है लेकिन, बीती एक जनवरी से टेंडर कराकर तीस जून तक 600 सांप पकड़े गए हैं। अभी ठेकेदार को पांच लाख रुपये का भुगतान किया है। सांपों को लेकर चल रही जांच के कारण शेष भुगतान रोक दिया गया है।

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