2000 करोड़ की कोडीन कफ सिरप तस्करी: ED की जांच से खुलेंगे सफेदपोशों के राज, यूपी-झारखंड से बांग्लादेश तक फैला नेटवर्क

उत्तर प्रदेश और झारखंड से सटे इलाकों में कोडीन युक्त कफ सिरप की अवैध तस्करी का मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर तूल पकड़ चुका है। अनुमानित 2000 करोड़ रुपये के इस कारोबार में कई सफेदपोशों की संलिप्तता उजागर हो रही है, और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत पूर्ण जांच शुरू कर दी है।

ED की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि नकली फर्मों, जाली बिलों और अंतरराष्ट्रीय रूट्स के जरिए यह तस्करी बांग्लादेश, गल्फ देशों तक फैली हुई थी। पुलिस और फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FSDA) की साझा कार्रवाई में अब तक 90 से अधिक FIR दर्ज हो चुकी हैं, और 30 से ज्यादा जिलों में छापेमारी जारी है।

यह मामला अक्टूबर 2025 में सोनभद्र जिले से शुरू हुआ, जब स्थानीय पुलिस ने वाराणसी-शक्तिनगर रोड पर दो कंटेनर ट्रकों से 1.19 लाख बोतलें कोडीन कफ सिरप जब्त कीं, जिनकी कीमत 3.5 करोड़ रुपये बताई गई। इसके बाद 3 नवंबर को गाजियाबाद में 1.5 लाख बोतलों और 8 लोगों की गिरफ्तारी हुई, जो नंदग्राम थाने में FIR का आधार बनी।

जांच में सामने आया कि वाराणसी के प्रह्लाद घाट निवासी शुभम जायसवाल और उनके पिता भोला प्रसाद जायसवाल मुख्य आरोपी हैं। शुभम, जो दुबई भाग चुके हैं, ने रांची की शैलि ट्रेडर्स के जरिए 89 लाख बोतलों (मूल्य 100 करोड़ रुपये) की आपूर्ति की, जो जाली खरीद-बिक्री बिलों पर आधारित थी। ED ने अब इन लेन-देन को मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा मानते हुए बैंक खातों की जांच तेज कर दी है।

ED की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नेटवर्क ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र समेत 7 राज्यों में संचालन किया। रांची की शैलि ट्रेडर्स ने अकेले सोनभद्र की दो मेडिकल स्टोर्स—मां कृपा मेडिकल और शिविक्षा फार्मा—को 7.53 लाख बोतलें (7.53 करोड़ मिलीलीटर) सप्लाई कीं, जो कागजों पर तो बिक्री दिखाई गईं लेकिन वास्तव में बंगाल-बांग्लादेश बॉर्डर की ओर तस्करी की गईं।

30 नवंबर को कोलकाता एयरपोर्ट पर भोला प्रसाद जायसवाल को विदेश भागते पकड़ा गया, जबकि शुभम के प्रत्यर्पण के लिए UAE से समन्वय शुरू हो चुका है। ED ने अब तक 331 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का पता लगाया है, जिसमें बाइक ड्राइवर के खाते में जमा रकम भी शामिल है, जो उदयपुर में लग्जरी शादी से जुड़ी है।

इस गिरोह ने फर्जी फर्में खड़ी कर एबॉट फार्मा जैसे कंपनियों से फेन्सिडिल सिरप की बल्क खरीदारी की, फिर ई-वे बिल जालसाजी से इंटरस्टेट ट्रांसपोर्ट किया। वाराणसी में 102 फर्मों की जांच में 31 पर केस दर्ज हुए, और 12 और फर्मों के मालिकों के खिलाफ FIR हुई, क्योंकि उन्होंने नोटिसों का जवाब नहीं दिया। STF ने लखनई में अमित सिंह टाटा को गिरफ्तार किया, जो शुभम के करीबी हैं और झारखंड की देवकृपा फर्म से जुड़े हैं।

टाटा के बयानों से दुबई में छिपे वरुण सिंह, गौरव जायसवाल और मेरठ के आसिफ जैसे फरार सदस्यों का पता चलेगा। कुल मिलाकर, 550 से ज्यादा ट्रक लोड सिरप की तस्करी का अनुमान है, जो 2000 करोड़ के आंकड़े को सही ठहराता है।

ED ने विभिन्न राज्यों की पुलिस, FSDA, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और विदेशी एजेंसियों से समन्वय स्थापित किया है। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “कोई दोषी बख्शा नहीं जाएगा। जांच पूरी होने पर सख्त कार्रवाई होगी।” पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने भी CBI जांच की मांग की है, जबकि विपक्ष ने BJP नेताओं के संरक्षण का आरोप लगाया है।

ED को उम्मीद है कि जल्द ही और बड़े खुलासे होंगे, जिसमें सफेदपोशों की भूमिका स्पष्ट होगी। यह कार्रवाई न केवल तस्करी रोकेगी, बल्कि ड्रग्स के दुरुपयोग से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं पर भी लगाम लगाएगी।

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