चुनाव खत्म होते ही बढ़ने लगी तेल की कीमतें, देखें क्यों हुआ ऐसा

नई दिल्ली। विघानसभा चुनाव के खत्म होते ही तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। तेल के दामों में ये पिछले दो महीनों बाद आई बढ़ोत्तरी है। इससे पहले जब तक चुनाव प्रचार का दौर चल रहा था तेल के दाम लगातार घट रहे थे। लेकिन अब नतीजों के बाद जनता की राहत खत्म होती दिख रही है।

पेट्रोल के दाम जो बढ़ते-बढ़ते कभी 80 रुपए/लीटर पहुंच गए थे, घटते-घटते 70 के आस-पास आकर रुक गए थे। लेकिन दो महीनों की स्थिरता के बाद गुरूवार को एक बार फिर दामों में दोबारा वृद्धि देखने को मिली।

9 पैसे की बढ़ोत्तरी के बाद पेट्रोल दिल्ली में 70.29 रुपए पर पहुंच गया वहीं डीजल के दामों में कोई उतार-चढ़ाव नहीं हुआ। इससे पहले 18 अक्टूबर तक तेल के दाम बढ़े थे। उसके बाद से अब तक पेट्रोल 13.10 रुपए सस्ता हो चुका था।

भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा बिक्री मूल्य रुपए-यूएस डॉलर विनिमय दर और बेंचमार्क ईंधनों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करता है। भारत अपनी तेल जरूरतें आयात के जरिए पूरी करता है। इधर चुनाव के परिणाम आने के तुरंत बाद, रुपए के मूल्य में काफी गिरावट आई। रुपए का मूल्य 1 रुपए 10 पैसे गिर गया। वहीं सेंसेक्स में भी भारी गिरावट देखी गई।

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ये कोई पहली बार नहीं हुआ है जब चुनावों के चलते तेल की कीमतों को रोका गया हो और नतीजों के बाद बढ़ा दिया गया हो। इससे पहले कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भी ये देखा गया था कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को लगातार 20 दिन तक (24 अप्रैल से 14 मई 2018 तक) उतार-चढ़ाव से अलग रखा गया था।

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इसी तरह गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी 13 दिन तक (1 दिसंबर से 14 दिसंबर तक) पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को बदलाव से अलग रखा गया।

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