LiveToday Exclusive : युद्ध हुआ तो भारत की जीत पक्की, 14 दिशाओं से बरसेगी चीन पर मौत!

चीन की बजी बैंडनई दिल्ली भारत और चीन की तनातनी थमने का नाम नहीं ले रही। चीन बार-बार भारत को आंख रहा है। भले ही चीन अपने बड़बोलेपन में युद्ध की बात कर रहा है। लेकिन वह इतना बड़ा कदम उठाने का फैसला भूल कर भी नहीं कर सकता। बड़ी बात यह है कि चीन का उसके सभी पड़ोसी देशों से विवाद है। ऐसे में डोकलाम विवाद के युद्ध के रूप में बदलने पर इन सभी देशों के समेत अमेरिका और जापान के लिए भी ये खतरे की घंटी होगी।

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जाहिर है ऐसे में चीनी मीडिया भले ही कुछ भी छापे, पर जिनपिंग प्रशासन इस बात को भी दरकिनार नहीं कर सकता कि अमेरिका और जापान के साथ अन्य सभी 14 देश उसकी इस दादागिरी को बिना किसी विरोध के खामोशी से तमाशबीन बने देखते रहेंगे।

इन बातों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यदि युद्ध हुआ तो हर हाल में चीन को ही नुकसान  उठाना होगा।

विशेषज्ञों का दावा है कि युद्ध के लिए ललकार कर और दबाव बना कर चीन भले ही अपनी हेकड़ी दिखा रहा हो पर कहीं न कहीं वह भी युद्ध का बिगुल बजाने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। वजह वे वाकिफ हैं कि यदि युद्ध हुआ तो उन्हें कई क्षेत्रों में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

गौरतलब है कि चीनी मीडिया बार-बार भारत को 1962 के युद्ध का सबक याद रखने के लिए कहता रहा है। वहीं भारतीय रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने चीन को जवाब देते हुए कहा कि भारत 1962 वाला नहीं है।

राजनीतिज्ञों और मीडिया से इतर विशेषज्ञों की राय भी दोनों देशों की राय को लेकर बंटी हुई है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन ने अपनी सीमा के आसपास संचार तंत्र पिछले कुछ सालों में काफी विकसित कर लिया है इसलिए युद्ध की स्थिति में वो बेहतर स्थिति में होगा। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के खिलाफ युद्ध से चीन ही घाटे में रहेगा।

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बताया गया 1962 के बाद से भारत और चीन की सीमा रेखा पर कभी एक भी गोली नहीं चली है। चीन कई वजहों से भारत के खिलाफ युद्ध नहीं छेड़ सकता। इन वजहों में सबसे अहम है ऊर्जा की जरूरत।

चीन की ईंधन आपूर्ति मलाक्का की खाड़ी से होती है। चीन सबसे अधिक ईंधन का आयात पश्चिमी एशिया और अफ्रीका से करता है।

चीनी मीडिया के हवाले से लिखा गया है कि उसके देश का 80 प्रतिशत ईंधन हिन्द महासागर या मलक्का की खाड़ी के रास्ते पहुंचता है।

मलक्का की खाड़ी भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह से बहुत दूर नहीं है जहां भारतीय नौसेना के सबसे बड़े सैन्य अड्डों में एक है।

भारत आसानी से मलक्का की खाड़ी या हिन्द महासागर में चीन को होने वाली ईंधन आपूर्ति रोक सकता है।

तेज औद्योगिक विकास के लिए लालायित चीन ये जोखिम नहीं उठा सकता। इसी डर से चीन ने कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान की मदद नहीं की थी।

चीन ने धमकी दी है कि अगर डोकलाम विवाद बढ़ता है तो भारत को सिक्किम के अलावा समूची नियंत्रण रेखा पर संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए।

साफ है कि चीन भारत-पाकिस्तान सीमा पर भी तनाव को बढ़ावा देना चाहता है लेकिन इसमें भी उसके लिए बड़ा जोखिम है।

चीन अरबों डॉलर खर्च करके चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) बना रहा है। इस परियोजना की मौजूदा लागत 62 खरब डॉलर (करीब चार लाख करोड़ रुपये) बतायी जा रही है। अगर भारत और चीन के बीच बड़े पैमाने पर युद्ध होगा तो सीपीईसी की सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं होगी।

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