
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक ने कर्ज को लेकर बड़ा बयान दिया है। बता दें, दोनों संस्थाओं ने दुनियाभर की सरकारों को कर्ज की शर्तों को लेकर अधिक से अधिक पारदर्शिता रखने को कहा है। दोनों संस्थाओं ने सरकारों को कर्ज पर निर्भरता कम रखने को कहा है।
IMF और विश्व बैंक के मुताबिक बढ़ता कर्ज और खराब हालात से मुसीबत बढ़ सकती है। दोनों संस्थाओं ने चीन के विकासशील देशों पर बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कही है। बता दें कई विकासशील देशों को चीन ने भारीभरकम कर्ज दिया हुआ है।
उन्होंने यह बात चीन के कर्ज के विकासशील राष्ट्रों पर बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर कही। इन संस्थाओं का मानना है कि कर्ज का बढ़ता बोझ और चिंताजनक परिस्थितियां संकट के बीज बो सकते हैं। आपको बता दें कि पाकिस्तान ने चीन से बड़ा कर्ज ले रखा है। दरअसल संस्थाओं की गुरुवार को हुई ग्रीष्मकालीन बैठक में वर्ल्ड बैंक के नव-नियुक्त अध्यक्ष डेविड मलपास ने चेतावनी दी कि 17 अफ्रीकी देश पहले से ही कर्ज संकट से जूझ रहे हैं और ऐसे देशों की संख्या में बढ़ोतरी हो रहा है क्योंकि कर्ज लेने के लिए पारदर्शिता नहीं बरतीजा रही।
आईएमएफ के प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा कि ऋण का उच्च स्तर और कर्जदाताओं की तादाद अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के मुताबिक नहीं हैं और यह भविष्य में किसी देश के कर्ज लेने की कोशिशों को जटिल बना सकती है।
क्रिस्टीन लेगार्ड के मुताबिक, विश्व बैंक और आईएमएफ दोनों कर्ज की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि सेंटर फॉर ग्लोबल डिवेलपमेंट रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि दुनिया के आठ देश चीन से लिए गए कर्ज के संकट में फंसकर बर्बाद हो सकते हैं।
इन आठ देशों में तजाकिस्तान, जिबूती, मोंटेनेग्रो, किरगिस्तान, मंगोलिया, लाओस समेत मालदीव और पाकिस्तानका नाम प्रमुखता से लिया गया था।
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कर्ज न चुका पाने की स्थिति में चीन कर्जदार देशों पर दबाव बनाकर कई समझौतों के लिए मजबूर करता रहा है। बता दें कि हाल ही में चीन द्वारा पाकिस्तान के स्टेट बैंक (SBP) को 15 अरब युआन (करीब 2।1 अरब डॉलर) का कर्ज दिए जाने की बात भी सामने आई थी।