चिदंबरम को पहले कभी मिलती थी Z सुरक्षा, आज जेल में कैसा है हाल, जानें  

कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 14 दिनों के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया है. अब उनको वहां पर 19 सितंबर तक रहना होगा. उनकी जेल में सुरक्षा के भी खास इंतजाम किए गए हैं.

चिदंबरम

इससे पहले न्यायिक हिरासत में भेजने के फैसले के फौरन बाद पी चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि चिदंबरम को तिहाड़ जेल में भी सुरक्षा मुहैया कराई जाए, क्योंकि उनको पहले से ही जेड कैटेगरी की सुरक्षा मिली हुई है. हालांकि कोर्ट ने उनकी इस मांग को मंजूरी दे दी है.

क्या कहते हैं नियम

अब यहां सवाल यह उठता है कि अगर कपिल सिब्बल जेल में पी चिदंबरम को सुरक्षा दिए जाने की मांग नहीं करते, तो क्या जेल में उनको सुरक्षा नहीं दी जाती या फिर उनको दूसरे आम कैदियों की तरह रखा जाता? इस संबंध में प्रिजन्स एक्ट -1894, दिल्ली प्रिजन्स एक्ट-2000 और मॉडल जेल मैनुअल बनाए गए हैं. इनमें जेल में कैदियों की सुरक्षा, अधिकारों और जेल प्रशासन की व्यवस्था को लेकर प्रावधान किए गए हैं.

मॉडल जेल मैनुअल मुताबिक स्पेशल कैटेगरी सुरक्षा प्राप्त अंडर ट्रायल कैदियों के लिए जेल में अलग से सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी. पी चिदंबरम भी जेड कैटेगरी सुरक्षा प्राप्त अंडर ट्रायल कैदी हैं. वो भारत के गृह मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके हैं. ऐसे में उनको विशेष सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी जेल प्रशासन की है.

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मॉडल जेल मैनुअल के मुताबिक जेल प्रशासन की जिम्मेदारी सभी कैदियों को सुरक्षा मुहैया कराना है. यह उनका मौलिक अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट भी साफ कह चुका है कि कैदियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने की इजाजत किसी भी सूरत में में नहीं दी जा सकती है. किसी भी कैदी के साथ कोई भी जेल का कर्मचारी दुर्व्यवहार या अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकता है. ऐसा करना उसके मौलिक अधिकारों का हनन है. अगर किसी कैदी के मौलिक अधिकारों का हनन होता है तो वह अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद 226 के तहत सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.

अब सवाल यहां यह उठता है कि अगर कैदी के मौलिक अधिकारों का जेल में हनन होता है तो कोर्ट क्या कार्रवाई कर सकता है? जेल में हर कैदी को मुफ्त में कानूनी सलाह पाने का भी अधिकार दिया गया है. लिहाजा जेल में अंदर ट्रायल कैदियों को कानूनी मदद देने के लिए लॉ ऑफिसर नियुक्त किए जाते हैं. इसके अलावा कैदियों को अपने परिजनों और निजी वकील से भी मिलने की इजाजत दी जाती है. ऐसे कैदियों की तरफ से कोई दूसरा भी न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है.

जेल जाते ही शुरू हो जाती है सुरक्षा व्यवस्था

जेल में कदम रखते ही पी चिदंबरम की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी जेल प्रशासन की हो गई है. जेल भेजने से पहले कैदी का मेडिकल टेस्ट होता है और उसकी पूरी तलाशी ली जाती है. इस दौरान उसकी सभी वस्तुओं को ले लिया जाता है और जेल के अंदर ले जाने की इजाजत नहीं दी जाती है. हालांकि अंडर ट्रायल कैसी को अपने खुद के कपड़े ले जाने की इजाजत होती है. अगर किसी कैदी के पास खुद के कपड़े की व्यवस्था नहीं है तो उसको जेल प्रशासन की ओर से साफ-सुथरे कपड़े उपलब्ध कराए जाते हैं. गुरुवार रात जब चिदंबरम तिहाड़ जेल पहुंचे तो उनको भी इस सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ा.

 

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