बरेली: अमर ज्योति घोटाले में फरार भाजपा नेता सूर्यकांत और शशिकांत मौर्य पर 50-50 हजार का इनाम, STF भी तलाश में जुटी

बरेली और बदायूं में अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड के नाम से चिटफंड कंपनी चलाकर सैकड़ों निवेशकों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने के आरोपी पूर्व भाजपा नेता सूर्यकांत मौर्य और उनके भाई शशिकांत मौर्य की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

बरेली रेंज के डीआईजी अजय कुमार साहनी ने दोनों भाइयों की गिरफ्तारी के लिए 50-50 हजार रुपये के इनाम की घोषणा की है। बदायूं पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) के साथ अब उत्तर प्रदेश की विशेष कार्य बल (एसटीएफ) भी इनकी तलाश में जुट गई है।

घोटाले
सूर्यकांत और शशिकांत ने अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड के जरिए निवेशकों को मोटा मुनाफा देने का लालच देकर लाखों रुपये जमा कराए। कंपनी ने बरेली और बदायूं में करीब 15,000 से 20,000 निवेशकों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि इकट्ठा की। जब निवेशकों को रकम लौटाने का समय आया, तो दोनों भाई कानूनी दांवपेच खेलने लगे। सूर्यकांत ने पहले ही कंपनी से खुद को अलग कर लिया था, ताकि कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके। इस घोटाले में कई रिश्तेदारों को भी नहीं बख्शा गया।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
घोटाले की शिकायतों के बाद बदायूं कोतवाली में सूर्यकांत और शशिकांत के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज किए गए। बदायूं के एसएसपी ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी, जिसने कई ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन दोनों भाई अब तक फरार हैं। पहले दोनों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम था, जिसे अब बढ़ाकर 50-50 हजार रुपये कर दिया गया है। डीआईजी साहनी ने बताया कि बरेली के कटरा चांद खां निवासी इन भाइयों की तलाश के लिए एसटीएफ, बरेली पुलिस और अन्य एजेंसियों को पत्र भेजा गया है। जो कोई भी इनके बारे में सटीक जानकारी देकर गिरफ्तारी में मदद करेगा, उसे इनाम दिया जाएगा।

भाजपा से निष्कासन
घोटाले में नाम सामने आने के बाद सूर्यकांत मौर्य, जो बरेली में भाजपा की महानगर इकाई के महामंत्री थे, को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। उनकी सक्रिय सदस्यता भी समाप्त कर दी गई है। इस कार्रवाई ने स्थानीय स्तर पर हड़कंप मचा दिया, और निवेशकों में गुस्सा बढ़ गया है, जो अपने पैसे की वापसी की मांग कर रहे हैं।

वर्तमान स्थिति
पुलिस का मानना है कि दोनों भाई ठगी की रकम से खरीदी गई संपत्तियों को ठिकाने लगाने की कोशिश कर रहे हैं। एसआईटी और अब एसटीएफ की सक्रियता से उनकी गिरफ्तारी की उम्मीद बढ़ गई है। निवेशकों ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई और अपने पैसे की वापसी की मांग की है।

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