चंद्रयान-2 के बाद इसरो अब चंद्रयान 3 की तैयारी में, पुराना ऑर्बिटर होगा इस्तेमाल

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान-3 को अपनी तैयारी शुरु कर दी है. लेकिन इसमें कम से कम तीन साल का समय लगेगा. इसरो के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि अगले साल तक चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग करना लगभग नामुमकिन है. क्योंकि, इसके लैंडर, रोवर, रॉकेट और पेलोड्स को तैयार करने में कम से कम तीन साल का समय तो लगेगा ही.

चंद्रयान 3

इन समितियों की अक्टूबर से लेकर अब तक उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है. इन बैठकों के बाद फैसला लिया गया है कि चंद्रयान-3 मिशन में सिर्फ लैंडर और रोवर भेजा जाएगा. इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा. क्योंकि चंद्रयान-3 के लिए इसरो वैज्ञानिक चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर उपयोग करेंगे. यह ऑर्बिटर अगले सात सालों तक काम करेगा.

इसरो वैज्ञानिक चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का ही उपयोग चंद्रयान-3 के लिए करेंगे. इस साल सितंबर में इसरो ने चंद्रयान-2 के लैंडर की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की थी लेकिन इसमें इसरो वैज्ञानिक फेल हो गए थे.

जबकि, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर काम कर रहा है. चंद्रयान-3 के लिए बनाई गई ओवरव्यू कमेटी ने चंद्रयान-3 को लेकर 10 बिंदुओं पर फोकस किया है. इन बिंदुओं में लैंडिंग की जगह, सही नेविगेशन, सेंसर और इंजीनियरिंग आदि शामिल हैं.

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ओवरव्यू कमेटी ने इस बात पर भी ध्यान रखा है कि इस बार लैंडर के पांव ज्यादा मजबूत बनाए जाएं. ताकि तेजी से लैंडिंग करने पर लैंडर को नुकसान न पहुंचे. वह क्रैश न हो. साथ ही चांद पर चंद्रयान-3 को भेजने के लिए पृथ्वी और चांद के चक्कर भी कम लगाने की तैयारी भी चल रही है.

बताया जा रहा है कि इस संबंध में 5 अक्टूबर को एक आधिकारिक नोटिस भी जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि यह जरूरी है कि चंद्रयान-2 की एक्सपर्ट कमेटी द्वारा दी गई सिफारिशों पर ध्यान देकर लैंडर में बदलाव करने और इसमें सुधार करने की दिशा में काम किया जाए. हालांकि, अभी तक लैंडर के वजन और उसमें लगाए जाने वाले उपकरणों के बारे में अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.

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