घरेलू बाजार में बढ़ी सोने की चमक, विदेशों में दिखा दबाव

नई दिल्ली।  महंगी धातुओं के कारोबार में इस साल घरेलू और विदेशी बाजार में लगातार दबाव बना रहा। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में साल की शुरुआत हालांकि मजबूती के साथ हुई मगर बाद के घटनाक्रमों के कारण पीली धातु निवेशकों को ज्यादा आकर्षित नहीं कर पाई और सोने की कीमतों में पूरे साल उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहा।

घरेलू वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर हालांकि सोने के भाव में 2018 में तकरीबन 10 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर साल की शुरुआती दरों के मुकाबले सोने का भाव दो फीसदी से ज्यादा लुढ़का है।

इस साल जनवरी में एमसीएक्स पर सोने का भाव 29,061 रुपये प्रति 10 ग्राम तक लुढ़का था, जबकि दिसंबर में सोने में 32,116 रुपये प्रति 10 ग्राम तक का उछाल आया। पूरे साल में दिसंबर में सबसे ज्यादा 4.61 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।

वहीं, हाजिर बाजार में भी इस साल सोने के भाव में जबरदस्त उछाल आया है। जेम एंड ज्वेलरी ट्रेड काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट शांतिभाई पटेल ने कहा कि 2018 में भारतीय सर्राफा बाजार में तेजी का दौर बना रहा क्योंकि नोटबंदी और जीएसटी से बाजार में जो मंदी छाई थी उसका असर कम हुआ और सोने और चांदी की मांग में तेजी आई।

दिल्ली में इस साल हाजिर सोने के भाव में 2,350 रुपये प्रति 10 ग्राम की बढ़त दर्ज की गई है। दिल्ली सर्राफा बाजार में शुक्रवार को 24 कैरट का भाव 32,650 रुपये और 22 कैरट का भाव 32,500 रुपये प्रति 10 ग्राम था।

केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि अमेरिका और चीन बीच इस साल पैदा हुए व्यापारिक तनाव और अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में पूरे साल के दौरान चार बार वृद्धि किए जाने से सोना की कीमतों पर दबाव बना रहा।

कॉमेक्स पर जनवरी 2018 में सोने का भाव 2.5 फीसदी की तेजी के साथ 1,357 डॉलर प्रति औंस तक उछला था। वहीं, दिसंबर 2018 में सोने का उच्च स्तर 1,284.55 डॉलर प्रति औंस रहा, जबकि अप्रैल में 1,365.40 डॉलर प्रति औंस तक का उछाल देखा गया। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने में इस साल काफ उतार-चढ़ाव रहा।

साल की शुरुआत में डॉलर पर दबाव दिखा, जिससे सोना निवेशकों के लिए पंसदीदा व सुरक्षित निवेश का जरिया बन गया था, लेकिन बाद में डॉलर में मजबूती आने से सोने के प्रति आकर्षण कम हुआ। जनवरी 2018 में दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के मूल्य का सूचक डॉलर इंडेक्स 88.25 तक लुढ़क गया था, जो इस महीने 97.70 के स्तर पर पहुंच गया।

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने इस महीने बेंचमार्क ब्याज दर बढ़ाकर 2.25 से 2.5 फीसदी के रेंज में कर दिया। यह फेड द्वारा ब्याज दर में इस साल की गई चौथी और तीन साल पहले की ब्याज दर तकरीबन शून्य के बाद नौवीं वृद्धि है।

सोने पर दबाव का दूसरा प्रमुख कारण अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार यानी व्यापार-युद्ध रहा।

केडिया ने कहा कि दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ है कि भूराजनीतिक दबाव से सोने और चांदी जैसी महंगी धातुओं को सपोर्ट नहीं मिला। उन्होंने कहा, “दरअसल, अमेरिका-चीन व्यापार जंग से महंगी धातुओं को जो सपोर्ट मिलना चाहिए वह नहीं मिला, इसकी मुख्य वजह रही डॉलर में तेजी।”

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि 2019 में सोने के भाव में तेजी आ सकती है क्योंकि अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने अगले साल सिर्फ दो बार ब्याज दरों में वृद्धि की बात कही है, जबकि इससे पहले फेड ने कहा था कि 2019 में वह तीन बार ब्याज दर में वृद्धि करेगा। इससे डॉलर पर दबाव रहेगा और सोने को सपोर्ट मिलेगा।

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सोने को सपोर्ट मिलने की एक यह भी वजह है कि दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीद में इजाफा हुआ है। इस साल भारतीय रिजर्व बैंक समेत तुर्की, रूस व अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीद की। इसके अलावा, रियल स्टेट क्षेत्र में निराशाजनक रुझान और शेयर बाजार में अस्थिरता का भी सोने को सपोर्ट मिल सकता है।

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शांतिभाई ने कहा कि केंद्र सरकार नई गोल्ड पॉलिसी में अगर बदलाव लाती है तो सोने और चांदी के कारोबार को इस साल और सपोर्ट मिल सकता है।

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