गैंगरेप के आरोपी पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को बड़ी राहत, जानें हाई कोर्ट का फैसला

लखनऊ: पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति को शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अंतरिम जमानत मिल गई है। इससे पहले गायत्री प्रजापति ने कोर्ट से कोरोना बीमारी का हवाला देकर जमानत मांगी थी जिसे अर्जी को कोर्ट ने खारिज हो कर दिया था। इसके बाद पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अंतरिम बेल की अर्जी डाली थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद पांच लाख के पर्सनल बांड और दो जमानतदारों की शर्त के साथ गायत्री को जमानत दी है। इस दौरान प्रजापति अंतरिम जमानत के दौरान देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकेंगे।

बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव के पहले प्रजापति तथा उनके छह अन्य साथियों पर एक महिला से सामूहिक बलात्कार और उसकी बेटी से छेड़खानी के आरोप में उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मुकदमा दर्ज किया गया था। प्रजापति ने इस बार भी अमेठी विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

विधानसभा चुनाव के दौरान यह मामला उठने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इशारों में प्रजापति को आत्मसमर्पण करने को कहा था। तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने बलात्कार जैसे गम्भीर आरोप में वांछित होने के बावजूद प्रजापति को मंत्रिमण्डल से बर्खास्त ना किये जाने पर आपत्ति दर्ज करते हुए इस सिलसिले में मुख्यमंत्री को चिट्ठी भी लिखी थी।

पिछले साल 19 अगस्त को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति से संबंधित दुष्कर्म के मामले में दुष्कर्म पीड़िता ने अपनी मां पर गायत्री प्रजापति से करोड़ों रुपये लेकर उनके खिलाफ लगाए गए आपराधिक मामले वापस लेने का आरोप लगाया था।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में रहने वाली पीड़िता की मां ने इससे पहले 2014 में दावा किया था कि प्रजापति ने नौकरी और एक घर देने के बहाने उसे लखनऊ बुलाया था और वहां अपने साथियों के साथ उसका दुष्कर्म किया था। उसने कहा था कि आरोपी ने उसकी नाबालिग बेटी का भी दुष्कर्म किया है और इसका एक वीडियो बनाया था, और उसे ब्लैकमेल करता रहता था। इसके बाद ही यह मामला गरमाया था और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री के खिलाफ पुलिस में रिपौर्ट दर्ज की गयी थी। लगभग साढ़े तीन साल तक जेल में अभिरक्षा में रहे जिसके बाद हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है।

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