‘गुरू जी’ के नाम से जाने जाते हैं संघ के यह महान करता-धरता
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगेवार थे जिन्होंने अपने मरने से पहले संघ के कार्यभाल का जिम्मा माधवराव गोलवरकर पर सौंपा था। उनका जन्म आज के ही दिन 19 फरवरी को 1906 में हुआ था। उनका जन्म स्थान नागपुर था।
गुरु जी ने सन् 1940 से 1973 इन 33 वर्षों मे संघ को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान किया। इस कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारप्रणाली को सूत्रबध्द किया। श्री गुरुजी, अपनी विचार शक्ति व कार्यशक्ति से विभिन्न क्षेत्रों एवम् संगठनों के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत बनें। श्री गुरु जी का जीवन अलौकिक था, राष्ट्र जीवन के विभिन्न पहलुओं पर उन्होंने मूलभत एवम् क्रियाशील मार्गदर्शन किया। “सचमुच ही श्री गुरूजी का जीवन ऋषि-समान था।”
गोलवलकर ने 1926 में काशी विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया. वह यहां बीएससी के छात्र थे. यह वही दौर था जब आरएसएस धीरे-धीरेे पूरे देश में अपने पैर पसार था.
विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान गोलवलकर ने स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस की लिखीं किताबों के साथ-साथ संस्कृत के महाकाव्यों, वेदों का अध्ययन किया.
1940 में डॉ. हेडगेवार के निधन के बाद वह संघ के दूसरे सर संघचालक बने और इस संगठन के विस्तार के लिए काम करने लगे. हालांकि इस दौरान उनका नाम कई विवादों में घिरता चला गया. जिसमें हिंदू-मुस्लिम दंगा, बंटवारे के विषय में कांग्रेस के नेताओं से विवाद जैसे मुख्य हैं.