प्रकाश पर्व के नाम से जाने वाले गुरुनानक देव ने खुद 500 साल पहले इस गुरुद्वारे की रखी थी नींव, जानें

गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती की तैयारियों जोरो से चल रही हैं. वैसे तो हर गुरुद्वारा अपने आप में खास है लेकिन क्या आप उस गुरुद्वारे के बारे में जानते हैं जिसकी स्थापना खुद गुरुनानक साहेब ने की थी. यह गुरुद्वारा आज भी दिल्ली में स्थित है. ऐसा बताया जाता है कि जब 1505 में गुरु नानक साहिब पहली बार दिल्ली आए थे, तब उन्होंने इस गुरुद्वारे की स्थापना की थी.

गुरुनानक देव

यह गुरुद्वारा सिख समुदाय के लिए खासा महत्व रखता है. ये बहुत प्राचीन गुरुद्वारा है और दिल्ली का पहला गुरुद्वारा है. इसलिए सिख समुदाय के लोग यहां बड़े ही उत्साह के साथ ये जयंती मनाते हैं.

कैसे पड़ा नानक प्याऊ गुरुद्वारानाम?

इस गुरुद्वारे का नाम है नानक प्याऊ गुरुद्वारा. अब आप लोग सोच रहे होंगे की इस गुरुद्वारे का नाम नानक प्याऊ क्यों है? भला ये कैसा नाम हुआ? तो आपको बताते है इस नाम के पीछे की पूरी कहानी. दरअसल, जब गुरुनानक जी पहली बार दिल्ली आए तब वो इसी जगह पर रुके थे. आज इस जगह को जीटी करनाल रोड के नाम से जाना जाता है.

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कहते हैं उस समय इस इलाके में पानी पीना नसीब नहीं होता था. जमीन से खारा पानी निकलता था, जिसके कारण लोग परेशान हो रहे थे. बच्चों की तबियत बिगड़ रही थी. तभी गुरुनानक साहेब ने अपनी शक्ति से, अपनी दृष्टि से, जमीन से मीठा पानी निकाला. जिसके बाद यहां रहने वाले तमाम लोगो ने यहां पानी पिया. जिसके बाद उन्हें हो रही बीमारियां भी खत्म हो गईं.

ये सिलसिला 500 साल बाद यानि आज भी लगातार चल रहा है. आज भी कुंए से मीठा पानी निकलता है. आज यहां एक प्याऊ है. इसी कारण इस गुरुद्वारे का नाम नानक प्याऊ गुरुद्वारा रखा गया था. यहां के लोगों का मानना है कि देश भर से लोग यहां आते हैं और इस पानी को पीकर जाते हैं जिसके बाद उनकी तमाम तकलीफें, तमाम बीमारियां खत्म हो जाती हैं.

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सालों से चला आ रहा है लंगर

नानक प्याऊ गुरुद्वारे में सबसे पहले लंगर खुद गुरुनानक जी ने शुरू किया था और तब से अब तक यानि 500 सालों से यहां लंगर इसी तरह चलता आ रहा है. रोजाना ही हजारों लोग यहां खाना खाने आते हैं. यहां से कोई भी भूखा नहीं जाता.

गुरुद्वारों में खास तैयारियां

दिल्ली के गुरुद्वारों में लंगर से लेकर सजावट तक खास तैयारी की जाती हैं. गुरुनानक साहेब की 550वीं जयंती से बड़ा पर्व और कोई हो ही नहीं सकता. इस दौरान गुरुद्वारों में विशाल कीर्तन होना भी तय है. चूंकि गुरुनानक साहेब ने ही इस नानक प्याऊ की स्थापना की थी इस वजह से यहां खास तैयारी की

 

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