बड़ी ‘एक्टिव’ है योगी की पुलिस, शिनाख्त से पहले ही कर दिया अंतिम संस्कार

गाजियाबादलखनऊ। सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने जिस तरह से सख्त तेवर दिखाए थे उससे लगा था कि क्राइम का ग्राफ घटेगा, लेकिन हुआ इसके ठीक उलट। पुलिस को लेकर भी सीएम योगी ने कई बड़ी बातें कही थी। जिसका कोई असर होता अभी तक तो न दिखा। ऐसा ही मामला गाजियाबाद में सामने आया है। यहां की पुलिस ने लाश की शिनाख्त करने से पहले ही अंतिम संसकार कर डाला। मामला सामने आने के बाद सूबे के डीजीपी सुलखान सिंह ने कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए है।

बता दें कि साहिबाबाद इलाके के रहने वाला 24 साल का मनदीप बीते 9 जुलाई को रात में घर से निकला, लेकिन उसके बाद उसका कोई पता नहीं चला। काफी खोजबीन के बाद परिवार वालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज करवाई।

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इसी दौरान 15 जुलाई को पुलिस का एक फोन पीड़ित परिवार वालों के पास आता है। पुलिस वाले ने बताया कि उसके बेटे की लाश मिली है। जिसका अंतिम संस्कार लावारिस में कर दिया गया है। जवान बेटे की मौत की सूचना मिलते ही घर में कोहराम मच गया।

क्या था पूरा मामला

मृतक मनदीप ऑटो चलाकर बुढ़े मां-बाप का एक सहारा था। वहीं मनदीप के पिता गिरीश नेगी ने बताया कि उनका बेटा 9 जुलाई को लापता हुआ था। उन्होंने 10 तारीख को अपने रिश्तेदारों से लेकिन उसके दोस्तों से पूछताछ की, लेकिन उसका कुछ भी पता नहीं चला।

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जब वो 11 जुलाई को साहिबाबाद थाने जाकर अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने गए तो उसे बड़ा फोटो लाने का बहाना बनाकर लौटा दिया गया। फिर वो 12 तारीख को रिपोर्ट लिखी गई। लेकिन 13 को बेटे की लाश को इन पुलिस वालों ने लावारिस दिखकर अंतिम संस्कार कर दिया। वहीं परिजनों को मौत की सूचना साहिबाबाद थाने ने 15 जुलाई को दी।

पीड़ित परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उनके बेटे की मौत पुलिस की पिटाई से हुई हैं। मृतक मनदीप की मां का आरोप है कि पुलिस ने चोर होने के शक में मेरे बेटे को उठाया और बेरहमी से उसकी पिटाई की। जिसके कारण उसकी मौत हो गई।

अब इस मामले में पीड़ित परिजनों से सूबे के डीजीपी सुलखान से ट्वीट करके न्याय की गुहार लगाई है। इस मामले में डीजीपी दफ्तर ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए एसएसपी को तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए है।

क्या बोले गाजियाबाद एसएसपी

इस मामले में एसएसपी एच.एन. सिंह ने बेहद चौंकाने वाला जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती करया गया था, वो अपना नाम बता पाने की स्थिति में नहीं था। वहीं थाने को भी नहीं पता था कि जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज है वहीं वो शख्स है। फिलहाल सीओ से जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे है।

पुलिस की बड़ी चूक

डीजीपी दफ्तर में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि ये मामला पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़ा करता है। नियम के मुताबिक इन पुलिस वालों को लावारिस लाश को 72 घंटे तक मोर्चरी में रखना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति उस इलाके से लापता हो तो उनके परिजनों को सूचना देकर शिनाख्त करवाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

इसके बाद भी अगर उस लाश की शिनाख्त ना हो पाए तो अखबार में विज्ञापन के जरिए सूचना को फोटो सहित प्रकाशित करना चाहिए। इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। वहीं एनएचआरसी की टीम पीड़ित परिवार से मिलकर उनका बयान दर्ज कर सकती है।

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