इस वजह से गंगा में स्नान करना अब सिर्फ एक सपना ही रह जायेगा

नई दिल्ली। मानव के अस्तित्व को बचाने वाली नदियों के ही अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक लगभग 223 नदियों का पानी इस कदर प्रदूषित हो चुका है कि इनमें नहाया भी नहीं जा सकता।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड के अनुसार देश की 62 फीसदी नदियां भयंकर रुप से प्रदूषित हो चुकी हैं। इनमें गंगा यमुना समेत इनकी सहायक नदियां भी शामिल हैं। 521 नदियों के पानी की मॉनिटरिंग करने वाले प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड के मुताबिक देश की सिर्फ 198 नदियां स्वच्छ हैं।

बोर्ड का मानना है कि नदियों में बढ़ते प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण नदियों के पास बसे बड़े शहर हैं। प्रदूषण का लेवल बढ़ने से नदियों के पानी में ऑक्सीज़न की मात्रा कम हो गयी है।

इसके कारण पानी में रहने वाले जीवों के अस्तित्व पर भी संकट है। नदी में मल-मूत्र के अलावा मानव और पशुओं के शव तथा कूड़े-कचड़े का प्रभाव नदियों के संतुलन को प्रभावित कर रहा है। इन्हें खत्म करने में अधिक ऑक्सीज़न की खपत होती है।

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नदियों के स्वच्छता के पैमाने पर महाराष्ट्र का सबसे अधिक बुरा हाल है। यहां की सिर्फ 7 नदियां स्वच्छ हैं, जबकि 45 नदियों का पानी प्रदूषित है। इसके बाद प्रदूषित नदियों में उत्तर प्रदेश का स्थान है। यहां कि 11 नदियां प्रदूषित है, जबकि 4 स्वच्छ पाई गयी हैं।

उत्तराखंड में भी 9 नदियां प्रदूषित हैं, जबकि 3 ही स्वच्छ हैं। इसके अलावा बिहार की 3 झारखंड की 6 नदियां प्रदूषित हैं। बोर्ड के मुताबिक दक्षिण-पूर्व भार में सबसे ज़्यादा स्वच्छ नदियां हैं।

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नदियों में प्रदूषण की जांच बायोकेमिकल ऑक्सीज़न डिमांड के मानक पर होती है। पानी में अगर कचरा अधिक होगा तो उसे नष्ट करने के लिए पानी में मौजूद ऑक्सीज़न की खपत होगी। यानी जितना अधिक बीओडी होगा, नदी में उतना ही अधिक प्रदूषण होगा। वैसे पेयजल में बीओडी अधिक से अधिक 2 होना चाहिए। जबकि नहाने में ज्यादा से ज्यादा तीन। लेकिन देश की 323 नदियों में बीओडी 3 मिग्रा प्रति लीटर से अधिक पाया गया है।

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