खंडहर हो चुका है महोबा का जिला अस्पताल, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

REPORT – DILIP BAJPAI/MAHOBA

एक ओर जहाँ केंद्र और राज्य सरकारें आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के साथ ही आयुर्वेदिक दवाओं की उपलब्धता सुगम बनाने के लिए योजनाओं पर लाखों रुपए खर्च कर रहीं हैं.

तो वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है ,आलम ये है कि राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल खुद ही बदहाल और बीमार नजर आ रहे हैं |

खंडहर बना जिला अस्पताल

मामला महोबा मुख्यालय का है जहाँ पॉलिटेक्निक के पास स्थित राजकीय अस्पताल को देखने के बाद कोई सोच भी नहीं सकता कि यहाँ अस्पताल संचालित है और वो भी राजकीय अस्पताल.

जी हाँ खंडर में तब्दील हो चुके राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में ही मरीजों का इलाज किया जाता है , तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि दरवाजे और खिड़कियां तो भगवान भरोसे हैं, मीटिंग हाल कुत्तों का आशियाना बन चुका है.

मात्र एक ही कमर कुछ हद तक ठीक ठाक बचा है जिसमें टीन शेड लगा हुआ है , उसी में बैठकर डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं , लेकिन ये भरोसा नहीं कि कब कोई हवा का झोंका या फिर तेज बारिश इस अस्पताल को जमींदोज कर दे.

वहीं अस्पताल आने वाले मरीज भी डर के साये में इलाज कराने आते हैं उनका कहना है कि मन मे यही डर लग रहता है कि पट नहीं कब यह खंडहर अस्पताल गिर जाए.

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तो वहीं अस्पताल में तैनात फार्मासिस्ट कहते हैं कि नौकरी तो करनी ही है चाहे जैसी स्थिति हो जैसे तैसे काम चल रहा है. नया अस्पताल भवन निर्माण के लिए कई बात लिखित में उच्चाधिकारियों को भी सूचित किया जा चुका है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. अंधेर तो यह है कि जब मुख्यालय स्थित अस्पताल का ये हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों का तो भगवान ही मालिक है.

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