अब आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आए मोदी के खिलाफ, सबसे बड़े फैसले से खींचेंगे कदम!

कैश से कैशलेस
डिप्टी गवर्नर आर गांधी

नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद जनता की मुश्किलों को कम करना और कैश से कैशलेस की तरफ बढ़ना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं रहा है।

अब देश कैशलेस की तरफ बढ़ रहा है। इसके लिए मोदी सरकार ने तमाम राहत भरे फैसले किए हैं। पेट्रोल-डीजल के डिजिटल पेमेंट पर छूट दी गई।

डेबिट और क्रेडिट कार्ड से 2000 रुपए तक के ट्रांजैक्शन पर 31 दिसंबर तक सर्विस टैक्स खत्म करने का फैसला लिया गया। लेकिन अब इस बड़े फैसले पर सवाल खड़े हो गए हैं।

कैश से कैशलेस होना मुश्किल

आरबीआई ने कैश से कैशलेस के इस मामले में चिंता जाहिर की है। आरबीआई का कहना है कि अगर ट्रांजैक्शन चार्ज कम करने की भी सोची गई तो बैंकों की कमाई पर बुरा असर होगा।

एसबीआई और आईसीआईसीआई भी इस मुद्दे पर आरबीआई से सहमत हैं।

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने कहा है कि कटौती का फैसला बैंकों पर पड़ने वाली लागत को ध्‍यान में रखकर लेना चाहिए।

दरअसल, वर्तमान में 2000 रुपए तक के ट्रांजैक्शन पर 75 से 100 बेसिस प्वाइंट के हिसाब से चार्ज लिया जाता है।

वहीं, क्रेडिट कार्ड पर यह चार्ज 175 बेसिस प्वाइंट का होता है।

देश में 74 करोड़ डेबिट और 2.7 करोड़ क्रेडिट कार्ड हैं।

कार्ड ट्रांजैक्शन के लिए बने प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के जरिए डेबिट कार्ड से 21,225 करोड़ और क्रेडिट कार्ड से 29,866 करोड़ महीने के ट्रांजेक्‍शन होते हैं।

देश में फिलहाल 15 लाख पीओएस मशीनें हैं, जिन्हें अगले तीन महीनों में 25 लाख करना है। यह निर्देश केन्द्र सरकार ने दिया है।

मंशा है कि 31 मार्च 2017 तक कार्ड ट्रांजैक्शन पर लगाए जा रहे टैक्स (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) को हटा दिया जाए या कम कर दिया जाए।

वहीं, आरबीआई का कहना है कि पीओएस के जरिए ट्रांजैक्शन महंगा पड़ता है। इससे बैंकों पर भार बढ़ेगा।

आरबीआई के तर्क की मानें तो मोदी सरकार यह फैसला लेकर जनता को बड़ी राहत देगी, लेकिन बैंकों के सामने बड़ी चुनौती होगी।

हालांकि अर्थव्यवस्था के जानकार मान रहे हैं कि यूएसएसडी (USSD) और यूपीआई के इस्‍तेमाल बढ़ने से बैंक अपना मार्जिन कम कर सकते हैं।

जानिए क्या है यूएसएसडी

यह सेवा मोबाइल टेलीफोनी के समान ही पुरानी है। यह किसी भी जीएसएम हैंडसेट पर चल सकती है।

उदाहरण के लिए पुराना 3115 नोकिया हैंडसेट। यूएसएसडी को इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल हैंडसेट में कोई भी विशेष एप्लीकेशन की जरूरत नहीं पड़ती।

एक उपयोगकर्ता हैंडसेट से एक छोटा कोड डायल करके और एक मेनू में प्रदान विभिन्न विकल्पों को चुनता है। अगले सत्र की प्रगति उपयोगकर्ता की प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है।

यूएसएसडी संदेश की अंग्रेजी में लंबाई 150 अल्फ़ान्यूमेरिक वर्ण और स्थानीय भाषाओं में 45 से 60 वर्ण हैं। स्थानीय भाषा समर्थन हैंडसेट के प्रकार पर निर्भर करता है।

यूपीआई ऐसे करता है काम

कैश से कैशलेस में यूपीआई मदद कर सकता है। इसकेे एप में आप केवल एक क्लिक कर पैसों का ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। हां, इसका उपयोग करने के लिए आपके स्मार्टफोन में केवल इंटरनेट की सुविधा होना जरूरी है।

अन्य पेमेंट एप्लिकेशन की तरह यहां आपको लॉगइन करने या ओटीपी प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी और न आपको किसी अन्य कार्ड या कार्ड नंबर जरूरत होगी।

यूपीआई एप को उपयोग करने के लिए सबसे पहले इसे अपने स्मार्टफोन में गूगल प्लेस्टोर से डाउनलोड करें और वहां एक यूनिक आईडी बनाएं।

आईडी बनाने के बाद आपको मोबाइल पिन जनरेट करना होगा। जिसे आपको अपने आधार नंबर से जोड़ना होगा। यूपीआई दरअसल एक वर्चुअल आईडी से दूसरे वर्चुअल आईडी तक फंड ट्रांसफर करता है।

यूपीआई में आपको अपनी वर्चुअल आईडी अपने बैंक से मिलेगी। अगर आपका फोन नंबर 9876543210 है और खाता एसबीआई में है तो आपका वर्चुअल आईडी 9876543210@sbi भी हो सकता है।

घर पर किसी सदस्य को पैसे भेजने हैं तो उसकी वर्चुअल आईडी डालिए और उसमें भेजी जाने वाली राशि भरिए और फिर पे टू का बटन क्लिक कर दीजिए।

पैसा आपके अकाउंट से उस सदस्य के अकाउंट में पहुंच जाएगा। यूपीआई एप का उपयोग कर एक दिन 50 रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक का ट्रांसफर कर सकते हैं। यूपीआई का उपयोग 24 घंटे और सातों दिन किया जा सकता है।

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