केजीएमयू से लापरवाही का मामला आया सामने , डायलिसिस कराने वाले मरीज हो रहे हैं एचआईवी पॉजीटिव…

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के केजीएमयू में लापरवाही का मामला सामने आया हैं. बतादें की 70 साल की बुजुर्ग महिला इलाज के लिए आई लेकिन डायलिसिस के बाद वो एचआईवी संक्रमित पाई गई. देखा जाये तो उस महिला को 17 जुलाई को हुई जांच में उसे एचआईवी पॉजिटिव पाया गया।

 

 केजीएमयू से लापरवाही का मामला आया सामने , डायलिसिस कराने वाले मरीज हो रहे हैं एचआईवी पॉजीटिव...

 

खबरों के मुताबिक यहां एक डायलाइजर से 12 से 15 बार मरीजों की डायलिसिस की जा रही है। लेकिन जबकि अधिकतम पांच बार ही की जानी चाहिए। स्पेशल डायलाइजर से भी अधिकतम 10 बार ही डायलिसिस की जा सकती है। वहीं इतना ही नहीं एक बार डायलिसिस होने के बाद उसे विसंक्रमित करके रखना होता है। जिस डायलाइजर पर एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की डायलिसिस होती है उसे अलग ही रखा जाता है। जहां यहां कुल 17 मशीनें हैं। इनमें से तीन मशीनें गंभीर बीमारियों के संक्रमण से जूझ रहे मरीजों के लिए हैं। चार मशीनें बंद पड़ी हैं। ऐसे में यहां औसतन 30 से 35 मरीजों की ही डायलिसिस हो पाती है।

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दरअसल केजीएमयू में जुलाई 2018 में जिस मशीन पर संक्रमण रहित मरीजों की डायलिसिस होती थी, उसपर संक्रमित मरीज की डायलिसिस कर दी गई थी। संयोग से एक कर्मचारी ने संबंधित मरीज को पहचान लिया था। इसके बाद 13 डायलाइजर फेंकने पड़े थे और तीन दिन तक यूनिट बंद करनी पड़ी थी। इस मामले में कंपनी के एक संविदा कर्मचारी को हटा दिया गया था।

बलरामपुर अस्पताल में पीपीपी मॉडल पर चल रही डायलिसिस यूनिट में पिछले साल 30 से अधिक मरीज हेपेटाइटिस बी संक्रमित हो गए थे। डायलिसिस कराने से पहले वे हेपेटाइटिस से ग्रसित नहीं थे। वहीं एचआईवी निगेटिव मरीज का कुछ दिन बाद पॉजिटिव होना गंभीर बात है। मामले की जांच कराई जाएगी। हालांकि पॉजिटिव होने के पीछे कई कारण होते हैं। खून चढ़वाने, सूई लगवाते वक्त लापरवाही आदि भी इसकी वजह हो सकती है। जो महिला पॉजिटिव हुई हैं, उनके बारे में जानकारी की जा रही है। डायलाइजर के रखरखाव और विसंक्रमित करने के तरीकेकी भी जांच कराई जाएगी।

 

 

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