कुतुब मीनार के इस खौफनाक रहस्य को जानकर काँप जाएंगे आप, देखने जाएँ लेकिन जरा संभलकर…

कुतुब मीनार को निर्माण कुशलता का एक नायाब नमूना भी कहा जाता है। इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1192 में किया था। आज भी इसे निर्माण कुशलता का एक जीता जागता नमूना कहा जाता है।

1505 ईस्वी में एक भयंकर भूकंप से यह लगभग तबाह हो गई थी लेकिन इसकी मरम्मत कराई गई, जिससे यह दोबारा ठीक-ठाक हो गई। 1803 ईस्वी में भी एक और भयंकर भूकंप ने इसको बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया और इसकी दोबारा मरम्मत की गई।

कुतुब मीनार

अगर आज आप इसे देखने के लिए जाएंगे तो आपको इसके अंदर और ऊपर नहीं जाने दिया जाएगा, क्योंकि इसके दरवाजों को सरकारी तौर पर ही बंद कर दिया गया है। लेकिन ऐसा क्यों किया गया है? आइए जानते हैं

दरअसल कुतुब मीनार लगभग 900 साल पुरानी है। और इसे देखने आये कई लोगों ने यह दावा किया कि इसके आसपास किसी के पास होने का एहसास होता है। रात के समय पैरानॉर्मल इन्वेस्टीगेशन इस जगह पर अनजान शक्तियों के होने का दावा किया थे।

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साल 1984 के पहले कुतुब मीनार के अंदर और अंदर की सीढ़ियों से ऊपर जाने दिया जाता था। लेकिन 4 दिसंबर 1984 को कुछ ऐसा हुआ जिसके कारण इसके दरवाजों को हमेशा के लिए बंद करना पड़ा, दरअसल 4 दिसंबर 1984 के दिन करीब 400 लोग इसके अंदर थे और सीढ़ियों के जरिए इसके ऊपर चढ़ रहे थे।

इसमें से ज्यादातर स्कूल के बच्चे थे इसके अंदर की सीढ़ियां इतनी छोटी है कि एक समय पर कोई एक ऊपर  या नीचे जा सकता है।

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