
ऑयल खाना पकाने के लिए सबसे पहला और बुनियादी घटक है। कोई भी खाना इसके बिना नहीं बनाया जा सकता है। जी हां ऑयल के बिना इंडियन खाना अधूरा माना जाता हैं। लेकिन जब हेल्थ की बात आती है तो ऑयल की चर्चा जरूर होती है।
यह सवाल भी अक्सर उठाता हैं कि हमें कौन सा ऑयल खाना चाहिए। कौन-सा ऑयल अच्छा है और कौन-सा खराब? कितना खाना चाहिए? लेकिन हम आपको बता दें कि ऑयल कई तरह का होता है और उनके कई फायदे भी हैं जो केवल ही ऑयल को खाने से आपको नहीं मिल सकते हैं। इसलिए आपको ऑयल बदल-बदलकर खाना चाहिए।
कुकिंग ऑयल को बदलकर क्यों खाना चाहिए?
जी हां कुकिंग ऑयल में तीन तरह के फैट पाए जाते हैं –
पॉलीअनसैचुरेटेड फैट (PUFA)-> लाभकारी
मोनोअनसैचुरेटेड फैट (MUFA)-> लाभकारी
सैचुरेटेड फैट-> हानिकारक
ये आवश्यक फैट हैं जो हमारी बॉडी को संश्लेषित नहीं करते हैं। इन 3 में से सैचुरेटेड फैट हानिकारक है जबकि मोनोअनसैचुरेटेड फैट और पॉली-अनसैचुरेटेड फैट बॉडी के लिए फायदेमंद हैं।
विभिन्न तेलों में इन तीनों फैट की अलग-अलग मात्रा होती है। 1.5: 1: 1 के अनुपात में मोनोअनसैचुरेट्स / पॉलीअनसैचुरेट्स / सैचुरेट्स प्रदान करने वाले तेलों की सिफारिश की जाती है।
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यहां तक कि हेल्दी ऑयल में भी सैचुरेटेड फैट छोटी सी मात्रा में होता है। दूसरे शब्दों में, आप कह सकती हैं कि किसी भी तेल में सभी आवश्यक फैटी एसिड और फैटी एसिड का अनुपात नहीं होता है जिसकी बॉडी को जरूरत होती है।
इस तरह से कोई भी एक तेल ऐसा नहीं है जो हमारी बॉडी को हेल्दी रखने के लिए सबसे अच्छा एंटी-ऑक्सीडेंट प्रोफाइल है।
एक्सपर्ट की राय
एक्सपर्ट खाना पकाने के तेल को रेगुलर से बदलने का सुझाव देते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन हैदराबाद के हाल ही में किए गए एक शोध के इस बात का खुलासा किया है कि हर तीन महीने में तेल बदलना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
फूड एक्सपर्ट, न्यूट्रीशनिस्ट और डाइटिशियन अलग-अलग खाना पकाने वाले तेलों के उपयोग की सिफारिश करते रहे हैं। वे कहते हैं कि हमें अपना खाना पकाने का तेल हर 2-3 महीने में एक बार बदलना चाहिए।
उदाहरण के लिए –
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आप इस सरल तकनीक को अपना सकती हैं –
महीना 1 – मान लीजिए आप तेल ए का इस्तेमाल कर रही हैं।
2 – 3 महीने के बाद – आप दूसरे तेल (तेल बी) पर जा सकती हैं
2 – 3 महीने के बाद – आप फिर से दूसरे तेल में बदल सकती हैं (या तो तेल सी या फिर से वापस तेल ए में बदल सकती हैं)
असल में, यह विचार है कि महीने दर महीने कुकिंग ऑयल को स्विच या बदलते रहना चाहिए।
तेल को बदलना हेल्दी है क्योंकि यह बॉडी को विभिन्न तरह के आवश्यक फैटी एसिड देता है जिसकी उसे जरूरत होती है।
इसे सही तरीके से करने से आप फैटी एसिड, विटामिन, ओमेगा -3 और ओमेगा -6 फैट का अनुकूल कॉम्बिनेशन प्राप्त कर सकती हैं।
आइए जानें कौन सा तेल आपको कौन से हेल्द बेनिफिट्स देता है।
सर्दी से बचाए सरसों का तेल

भारत में सबसे अधिक सरसों के तेल का प्रयोग किया जाता है। इसमें ओमेगा-3 होता है। इसके सेवन से भूख भी अधिक लगती है। यह कोल्ड और फ्लू की संभावना को भी कम करता है।
मेटाबॉलिज्म के लिए नारियल का तेल
नारियल का तेल त्वचा और बालों के लिए ही फायदेमंद नहीं होता है बल्कि खाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसमें सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जो कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखता है।
यह शरीर के लिए नुकसानदेह जीवाणु पैथेजेंस का दूर कर मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मददगार होता है।
हड्डियों के लिए तिल का तेल
इस प्रकार के तेल का प्रयोग दूसरे तेलों की तुलना में कम किया जाता है, लेकिन इसमें भी पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स होते हैं जिससे हेल्थ प्रॉब्लम्स भी कम होती है।
इसके अलावा इसमें कॉपर, कैल्शियम और जिंक जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद हैं जिससे हड्डियों का पर्याप्त विकास होता है। तनाव और अवसाद से भी यह बचाता है।
यह खुशी के लिए जिम्मेदार हार्मोन और एंजाइम को उत्तेजित करता है जिससे पॉजिटिविटी बढ़ती है।
आंखों के लिए एवोकाडो ऑयल
आंखों को हेल्दी रखने के लिए विटामिन ई की जरूरत होती है जो एवोकाडो ऑयल में पाया जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट ल्युटिन भी होता है जो आंखों के लिए फायदेमंद है। इसे ठंडे और सूखे स्थान पर रखें, नहीं तो यह खराब हो जाता है।
कैंसररोधी है ऑलिव ऑयल
आजकल ऑलिव ऑयल का प्रयोग अधिक चलन में हैं, इसमें अनसैचुरेटेड फैट होता है जिससे कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है। इसमें कैंसररोधी तत्व भी होते हैं और यह दिल को भी मजबूत रखता है। लेकिन इसका प्रयोग करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आंच पर पकाने के लिए हमेशा एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल का प्रयोग करें नहीं तो यह नुकसान भी कर सकता है।
दिल के लिए कैनोला ऑयल
दिल को हेल्दी रखने के लिए जिन भी तत्वों की जरूरत होती है वह इस तेल में मौजूद है, इसीलिए इसे सबसे बेहतरीन कुकिंग ऑयल भी कहा जाता है।
इसमें सैचुरेटेड फैट की मात्रा दूसरे तेलों की तुलना में कम होती है साथ ही इसमें ओमेग-3 और ओमेगा-6 भी होता है। कैनोला के पौधों के बीजों को पीसकर यह बनाया जाता है।
इसके अलावा कई प्रकार के ऑयल हैं, जिनका इस्तेमाल आप कर सकती हैं। जी हां कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए राइसब्रान ऑयल का इस्तेमाल करें, वजन बढ़ाने के लिए ऑलमंड ऑयल, अस्थमा या सांस की प्रॉब्लम्स के लिए सनफ्लॉवर ऑयल और सामान्य रोगों से बचने के लिए आप ग्रेपसीड ऑयल का इस्तेमाल कर सकती हैं।