
तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार हो रहे किसान आंदोलन में कई किसान अपनी जान गंवा चुके है। टीकरी बार्डर से लेकर सिंघु बार्डर तक हुई किसानों की मौत पर हरियाणा के कृषि मंत्री जे. पी. दलाल ने शनिवार को शर्मनाक बयान दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें मतलब कि किसानों को तो मरना ही थी, घर पर रहते तब भी उनकी मौत हो जाती। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ अपनी इच्छा से मरे हैं। गैरतलब की बात तो यह है कि वह यह सब कहते हुए हंस रहे थे।

दलाल ने कहा, ‘किसान घर रहते तब भी मर जाते। उन्होंने कहा कि, क्या एक से दो लाख लोगों में से छह महीने में दो सौ लोग नहीं मरते? कोई दिल का दौरा पड़ने से मर रहा है और कोई बीमार पड़ने से। ये लोग स्वेच्छा से मरते हैं। इनमें से कुछ लोग तो स्वेच्छा से मरे।
बड़ी बात तो यह है कि जब हरियाणा के कृषि मंत्री ये बातें कर रहे थे, तब वह खुद भी हंस रहे थे और आसपास से भी ठहाकों की आवाजें आ रही थीं। इस बयान के बाद जब विवाद हुआ तो कुछ घंटों बाद दलाल ने सफाई देते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि, ‘मेरे बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। यदि कोई इससे आहत हुआ है तो मैं माफी मांगता हूं। वह किसानों के कल्याण के लिए काम करते रहेंगे।’




