
आज कारगिल विजय दिवस है जिसे हर साल 26 जुलाई को उन शहीदों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं कारगिल युद्ध से जुड़ी बातें…
यह युद्ध 14 जुलाई तक चला था, यानी लगभग 2 महीने. कहा जाता है कि पाकिस्तान इस युद्ध की तैयारी साल 1998 से कर रहा था। कहा जाता है कि पाकिस्तानी एयरफोर्स चीफ को कारगिल युद्ध के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी और बाद में जब उन्हें इसके बारे में बताया गया तो उन्होंने इस ऑपरेशन में पाकिस्तानी सेना का साथ देने से इनकार कर दिया था।
मिग –27 व 29 थे मुख्य फाइटर प्लेन
भारतीय एयरफोर्स ने कारगिल युद्ध के दौरान मिग-27 का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तानी कब्जे वाली जगहों पर बम गिराए थे। इसके साथ ही मिग-29 का भी इस्तेमाल किया गया था।
2700 पाक सैनिक मारे गए थे
इस युद्ध में 2 लाख 50 हजार गोले और रॉकेट दागे गए थे। 300 से ज्यादा तोपों, रॉकेट लॉन्चरों और मोर्टार से रोजाना लगभग 500 धमाके किए जाते थे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस युद्ध में उनके 2700 से ज्यादा
सैनिकों की जान गई थी और उन्हें 1965 और 1971 के युद्ध से ज्यादा नुकसान हुआ था।
कारगिल विजय दिवस: 20 साल पहले आज के ही दिन 527 जवान हुए थे शहीद, शहीद सैनिकों को सैल्यूट
527 जवान हुए थे शहीद
26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त करवा लिया था। कारगिल युद्ध में भारत के 527 से अधिक वीर योद्धा शहीद हुए थे जबकि 1300 से ज्यादा जवान घायल हो गए थे।
तो मुशर्रफ और शरीफ दोनों मारे जाते
एक अंग्रेजी दैनिक की खबर के मुताबिक, कारगिल युद्ध में मुशर्रफ और नवाज शरीफ की भी मौत हो सकती थी। खबर के मुताबिक 24 जून 1999 को करीब सुबह 8.45 बजे जब लड़ाई अपने चरम पर थी। उस समय भारतीय वायु सेना के एक जगुआर ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के ऊपर उड़ान भरी और निशाना साधा सीधे पाकिस्तानी सेना के एक अग्रिम ठिकाने पर। जगुआर का इरादा ‘लेजर गाइडेड सिस्टम’ से बमबारी करने लिए टारगेट को चिह्नित करना था। उसके पीछे आ रहे दूसरे जगुआर को बमबारी करनी थी, लेकिन दूसरा जगुआर निशाना चूक गया और उसने ‘लेजर बॉस्केट’ से बाहर बम गिराया जिससे पाकिस्तानी ठिकाना बच गया। खबर के मुताबिक, अगर दूसरा जगुआर का निशाना सटीक लगता तो पाकिस्तान के तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ और तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी वहीं मारे जाते।
आज का राशिफल, 26 जुलाई 2019, दिन- शुक्रवार
दस्तावेजों में है दर्ज
भारत सरकार के दस्तावेज में भी कहा गया है कि 24 जून को जगुआर ने प्वाइंट 4388 पर निशाना साधा था, इसमें पायलट ने एलओसी के पार गुलटेरी को लेजर बॉस्केट में चिह्नित किया था लेकिन बम निशाने से चूक गया। हमले के समय तत्कालीन पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ और तत्कालीन जनरल परवेज मुशरर्फ उस समय उसी ठिकाने पर मौजूद थे।
गुलेटरी से होती थी रसद की आपूर्ति
कारगिल युद्ध के समय गुलटेरी सैन्य ठिकाना पाकिस्तानी सेना को सैन्य सामान पहुंचाने वाला अग्रिम ठिकाना था। गुलटेरी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एलओसी से नौ किलोमीटर स्थित अंदर है।