कांग्रेस समीक्षा बैठक में पार्टी के हुए दो धड़े, दिल्ली प्रदेश प्रभारी पीसी चाको स इस्तीफे की मांग

लोकसभा चुनाव के दौरान आप के साथ दिल्ली में समझौते की कोशिश से उभरा दिल्ली कांग्रेस का अंदरूनी विवाद सतह पर आ गया है। शुक्रवार को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में लोक सभा चुनाव की हार की समीक्षा बैठक में कांग्रेस में दो धड़े हो गए। दोनों की बीच जमकर हंगामा हुआ। पदाधिकारियों ने दिल्ली प्रदेश प्रभारी पीसी चाको की मौजूदगी में ही उनके इस्तीफे की मांग कर डाली।

कांग्रेस समीक्षा बैठक

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित की बुलाई बैठक में प्रभारी पीसी चाको के साथ तीनों कार्यकारी अध्यक्ष व दूसरे पदाधिकारी भी थे। लोकसभा चुनाव में हार पर चर्चा के दौरान पूर्व पार्षद रोहित मनचंदा ने कहा कि पीसी चाको को नवंबर 2014 में दिल्ली प्रदेश प्रभारी बनाया गया था। उनकी अगुवाई में पार्टी न सिर्फ हालिया लोकसभा चुनाव, बल्कि 2015 का दिल्ली विधानसभा का चुनाव भी हारी है। 2017 का एमसीडी चुनाव भी कांग्रेस के लिए खराब रहा। अगर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की बात कर रहे हैं तो पीसी चाको को भी इस्तीफा क्यों नहीं देना चाहिए। दूसरे कई सदस्यों ने भी उनकी बात का समर्थन किया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी और दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष शीला दीक्षित ने भी इस्तीफे की पेशकश की है तो पीसी चाको को भी इस्तीफा देना चाहिए।

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मनचंदा के मुताबिक, बैठक में पीसी चाको ने उनसे कहा कि उनके जैसे नेताओं को दिल्ली कांग्रेस में होने का कोई अधिकार नहीं है। मनचंदा ने राहुल गांधी व सोनिया गांधी ने मांग की कि प्रदेश प्रभारी बदला जाए। मनचंदा ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर भी पीसी चाको के इस्तीफे की मांग की थी।

दूसरी तरफ, पीसी चाको ने इस तरह की किसी तरह भी घटना को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि वह संबंधित व्यक्ति को ज्यादा नहीं जानते। हालांकि बैठक में मौजूद एक नेता ने बताया कि कार्यालय में मनचंदा के साथ पीसी चाको की तीखी नोकझोंक हुई थी। ज्यादातर पदाधिकारी दिल्ली में कांग्रेस की लगातार हार से चिंतित दिखे। गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव के दौरान पीसी चाको ने आप के साथ गठबंधन की वकालत की थी। वरिष्ठ नेता अजय माकन भी इसके पक्षधर थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित समेत पार्टी नेताओं के एक धड़े ने इसका विरोध किया था। इस पर पार्टी के अंदर काफी खींचतान हुई थी। आखिर में दोनों दलों के बीच समझौता नहीं हो सका था। इससे लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित करने में काफी देर हो गई थी। प्रदेश कांग्रेस के नेता सातों सीटों पर उम्मीदवारों की हार की एक वजह इसे भी ठहरा रहे हैं।

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