
मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट का मामला बीजेपी द्वारा सु्प्रीम कोर्ट में ले जाने के बाद कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बीजेपी पर 16 विधायकों के अपहरण का मामला दर्ज किया है. कांग्रेस ने अपनी अर्जी में बेंगलुरु में मौजूद अपने विधायकों को छोड़ने की अर्जी दी है. इससे पहले बीजेपी फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई थी.
बीजेपी ने मध्यप्रदेश में फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया. सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर, मुख्यमंत्री और विधान सभा के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को नोटिस जारी किया है. सभी पक्षकारों को ईमेल और वॉट्सएप के जरिए नोटिस भेजे जाएंगे. वहीं बागी विधायकों ने भी पक्षकार बनने की अर्जी लगाई है. इस मामले में बुधवार सुबह 10.30 बजे सुनवाई की जाएगी.
बीजेपी की बागी विधायकों ने भी सुप्रीम कोर्ट में पार्टी बनने की अर्जी लगाई थी जिस कर कोर्ट ने उन्हें भी नोटिस जारी किया है. दूसरी तरफ कोर्ट ने सभी पक्षकारों को 24 घंटे का समय देकर नोटिस का जवाब देने को कहा है. इससे पहले सोमवार को मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को मंगलवार तक बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था.
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मंगलवार को बेंगलुरु में कांग्रेस के बागी विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि वह विधायकों की बात नहीं सुनते हैं. कमलनाथ सिर्फ छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री बनकर रह गए हैं. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले बागी विधायकों की प्रेस कांफ्रेंस ने कांग्रेस के सामने परेशानी खड़ी कर दी है. बेंगलुरू में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस के बागी विधायक गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि हम यहां बंधक नहीं हैं, हम अपनी मर्जी से आए हैं. वहीं इमरती देवी ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जी हमारे नेता हैं. हमने उनसे बहुत कुछ सीखा है. मैं हमेशा उनके साथ रहूंगी, भले मुझे कुएं में कूदना पड़े. विधायकों ने कहा कि जब तक उन्हें केंद्र सरकार की सुरक्षा नहीं दी जाती है तब तक वह वापस नहीं लौटेंगे.