कश्मीर में सेना की कार्यवाई पर उठे सवाल, मानकों की अनदेखी का आरोप

कश्मीर में सेनाश्रीनगर| मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली वाली संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कश्मीर में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अधिक बल प्रयोग करने का भारत पर सोमवार को आरोप लगाया। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने यहां जारी एक बयान में कहा, “जम्मू एवं कश्मीर में सेना मनमाने ढंग से बहुत अधिक बल प्रयोग कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “भारत अंतर्राष्ट्रीय मानदंड का उल्लंघन कर रहा है और राज्य में मानवाधिकार संकट को और खराब कर रहा है।”

आकार ने कहा, “पेलेट फायरिंग ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वालों और तमाशबीनों को भी घायल और अंधा किया है। अपने घरों के अंदर बैठे बच्चे भी पेलेट से घायल हुए हैं।”

बयान में मीडिया की दो अक्टूबर की उस रपट का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है, “भारत के गृह मंत्रालय ने विकट स्थिति पैदा होने पर पेलेट के विकल्प के रूप में मिर्च पाउडर वाली सामग्री इस्तेमाल करने की स्वीकृति दी है।”

कहा गया है कि सितंबर के प्रथम सप्ताह में श्रीनगर के अस्पतालों में पेलेट से जख्मी लोगों के 100 से अधिक मामले आए।

बयान में कहा गया है कि बल और आग्नेयास्त्र इस्तेमाल करने का संयुक्त राष्ट्र का मूल सिद्धांत यह है कि इनका प्रयोग तबतक नहीं किया जाना चाहिए, जबतक कि आत्मरक्षा या दूसरों की जान जाने या गंभीर रूप से घायल होने का खतरा नहीं हो।

यह भी कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र का नियम स्पष्ट करता है कि आग्नेयास्त्र का प्रयोग केवल तभी किया जाए, जब उससे कम घातक साधन अपर्याप्त हों। कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की आचार संहिता कहती है कि वे केवल तभी बल प्रयोग कर सकते हैं, जब बहुत जरूरी हो और इस हद तक जरूरी हो कि उनके कर्तव्य के निर्वहन की हद तक आवश्यक हो।

एमनेस्टी इंडिया के बयान में यह भी कहा गया है कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की है और पुलिस थानों पर हमले किए हैं।

सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां, आंसू गैस के गोले और पेलेट दागे हैं।

इन हथियारों में स्वाभाविक रूप से बिना भेदभाव के उन लोगों को भी गंभीर रूप से घायल करने का खतरा रहता है, जो हिंसा में शामिल नहीं हैं। इस तरह का कोई उचित तरीका नहीं है कि इन हथियारों का इस्तेमाल कर सकें। इन पर प्रतिबंध लगना चाहिए।

भीड़ नियंत्रित करने के लिए मिर्च पाउडर वाले पावा गोलों का इस्तेमाल करने के बारे में बयान में कहा गया है कि तकलीफ देने वाली रासायनिक वस्तु के मनमाने इस्तेमाल की आशंका है। इसका इस्तेमाल करने से पहले इन हथियारों को सुरक्षा जांच और स्वीकृति की कठिन प्रक्रिया से गुजारा जाना चाहिए।

एमनेस्टी ने कहा है, “जम्मू एवं कश्मीर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को जब अहिंसक उपाय अपर्याप्त हों और यह सुनिश्चित हो जाए कि बल प्रयोग अनिवार्य है तो अंतिम उपाय के रूप में जरूरत के अनुपात में बल प्रयोग करना चाहिए।”

यह भी कहा गया है कि किसी पर भी मनमाने या अत्याचारपूर्ण ढंग से बल प्रयोग करने वाले संदिग्ध के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

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