कर्नाटक की राजनीति में मचा घमासान किस करवट बैठेगा, SC में होगा फैसला

अभिषेक मनु सिंघवी की तरफ से अदालत को कहा गया है कि स्पीकर को कुछ समय मिलना चाहिए क्योंकि उन्हें सही तर्कों के साथ इस्तीफों और अयोग्यता पर निर्णय करना है. इस बीच अदालत लंच के लिए ब्रेक पर है. लंच के बाद दोबारा इसपर बहस होगी.

कर्नाटक की राजनीति

एक लंबी तीखी बहस के बाद स्पीकर की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आप बंदिशे हटाइए, हम कल तक इस्तीफे और अयोग्यता पर फैसला कर लेंगे. साथ ही एक कारण भी देंगे. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि स्पीकर को कुछ हो गया है और वो इस तरह के फैसले ले रहा है. स्पीकर काफी अनुभव वाला व्यक्ति है.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस दौरान कहा कि अगर आप इस्तीफे पर फैसला कर सकते हैं, तो करिए. CJI बोले कि जब हमने पिछले साल 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट करने का आदेश दिया तो आपने आपत्ति नहीं जताई थी, क्योंकि वो आपके हक में था. इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर के अधिकारों पर तीखी बहस चल रही है.

अभिषेक मनु सिंघनी के कहा कि अयोग्य वाला मामला इस्तीफा देने से पहले का ही है. चीफ जस्टिस ने इस पर पूछा कि अगर कोई व्यक्ति आमने-सामने इस्तीफा नहीं देता है तो क्या होता है. उन्होंने पूछा कि क्या स्पीकर ने कोर्ट आने से पहले कुछ नहीं किया. उन्होंने नोटिस जारी करना चाहिए था. CJI ने पूछा कि जब विधायकों ने इस्तीफा दिया तो स्पीकर ने क्यों कुछ नहीं किया, क्यों वो लगातार कहते रहे कि वह तुरंत फैसला नहीं कर सकते हैं.

मुकुल रोहतगी के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने स्पीकर की तरफ से पैरवी की. उन्होंने कहा कि जब अयोग्य होने पर सुनवाई जारी है तो विधायक इस्तीफा कैसे दे सकते हैं. इस दौरान CJI ने स्पीकर के उपलब्ध ना होने पर कहा. जिसपर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्पीकर ने पहले ही कह दिया था कि उनसे मुलाकात का समय नहीं मांगा गया था.

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बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधायक कोई ब्यूरोक्रेट या कोई नौकरशाह नहीं हैं, जो कि इस्तीफा देने के लिए उन्होंने कोई कारण बताना पड़े. इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर हम आपकी बात मानें, तो क्या हम स्पीकर को कोई ऑर्डर दे सकते हैं? आप ही बताएं कि ऐसे में क्या ऑर्डर हम दे सकते हैं?  मुकुल रोहतगी ने इस दौरान मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गोवा के उदाहरण भी पेश किए.

बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने इस दौरान केरल, गोवा, तमिलनाडु हाईकोर्ट के कुछ फैसलों के बारे में बताया. जिसमें स्पीकर को पहले इस्तीफे पर विचार करने को कहा गया है और अयोग्य के लिए फैसले को बाद में. उन्होंने कहा कि केरल की अदालत ने तो तुरंत इस्तीफा स्वीकार करने की बात कही थी.

चीफ जस्टिस ने इस दौरान कहा कि हम ये तय नहीं करेंगे कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना चाहिए, यानी उन्हें इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं. हालांकि, हम सिर्फ ये देख सकते हैं कि क्या संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर निर्णय कर सकता है. CJI ने कहा कि कोर्ट ये तय नहीं करेगा कि स्पीकर को क्या करना है. मुकुल रोहतगी ने इस दौरान कहा कि इस्तीफे के पीछे कई (Myriad) कारण हो सकते हैं. इस दौरान CJI ने कहा कि क्या…मिलियन? बाद में मुकुल रोहतगी ने खुद को सुधारा.

सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कहा कि जिन विधायकों ने याचिका डाली है अगर उनकी मांग पूरी होती है तो कर्नाटक की सरकार गिर जाएगी. स्पीकर जबरन इस्तीफा नहीं रोक सकते हैं. इसी दौरान चीफ जस्टिस ने मुकुल रोहतगी से अयोग्य करार दिए जाने के नियमों के बारे में पूछा.

बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर व्यक्ति विधायक नहीं रहना चाहता है, तो कोई उन्हें फोर्स नहीं कर सकता है. विधायकों ने इस्तीफा देने का फैसला किया और वापस जनता के बीच जाने की ठानी है. अयोग्य करार दिया जाना इस इच्छा के खिलाफ होगा.

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कर्नाटक मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मुकुल रोहतगी से विधायकों के इस्तीफे की तारीख पूछी. इसके अलावा उन्हें अयोग्य करार दिए जाने की तारीख भी पूछी. जिसके जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा कि 10 जुलाई को 10 विधायकों ने इस्तीफा दिया, वहीं सिर्फ दो विधायकों का अयोग्य करार दिया जाना 11 फरवरी से पेंडिंग है.
इसके अलावा सीजेआई ने बाकी पांच विधायकों के बारे में पूछा, जिसके जवाब में मुकुल रोहतगी ने बताया कि वे सभी भी इस्तीफा दे चुके हैं.

कर्नाटक में मचे राजनीतिक घमासान की तस्वीर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ होगी तो वहीं 18 जुलाई को विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है. मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का दावा है कि उनके पास बहुमत है. 224 नंबर वाली विधानसभा में अभी कांग्रेस-जेडीएस के पास 100 (विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होता है तो), बीजेपी के पास 105+ विधायक हैं.

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