एयरटेल के खिलाफ महिला ने जीता मुकदमा, कोर्ट ने दिया चौंकाने वाला मुआवज़ा

एयरटेलअहमदाबाद। पाटीदार आंदोलन के दौरान साल 2015 में इंटरनेट सेवा ठप रहने के बाद अंजना ब्रह्मभट्ट ने एयरटेल से 44.50 रुपये वापस मांगे। जिसपर कंपनी ने इनकार कर दिया। इस मामले को तूल देकर अंजना ने एयरटेल पर केस कर दिया। कन्ज्यूमर कोर्ट में चल रहे केस पर निर्णय दे दिया गया है। जिसमें अंजना के मानसिक प्रताड़ना के लिए 10,000 रुपये और कानूनी खर्च के लिए 5,000 रुपये के किए गए दावे को खारिज कर दिया गया है। लेकिन कोर्ट ने कंपनी को 44.50 रुपए पर 12% ब्याज के साथ 55.18 रुपए देने का आदेश दे दिया है।

उपभोक्‍ता विवाद सामाधान फोरम का समाधान

अंजना ने एयरटेल पर केस कर दिया और वह जीत गईं। थलतेज निवासी अंजना ब्रह्मतेज ने आंदोलन के दौरान 10 दिनों तक ठप रही इंटरनेट सेवा के बदले आठ दिन की वैलिडिटी बढ़ाने या 44.50 रुपया वापस करने की मांग की। हालांकि, कंपनी ने उनकी एक नहीं सुनी और अंजना उपभोक्ता विवाद समाधान फोरम चली गईं।

वकील मुकेश पारीख के मुताबिक, अंजना ने 5 अगस्त 2015 को 178 रुपये में 28 दिनों की वैलिडिटी के साथ 2GB का डेटा पैक लिया था। हालांकि, आंदोलन की वजह से शहर में 26 अगस्त से 4 सितंबर 2015 तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। उन्होंने कहा, ‘अंजना ने एयरटेल से आठ दिन के लिए सर्विस एक्सटेंड करने या 44.50 रुपये रिफंड करने का आग्रह किया। लेकिन, वह (कंपनी) इसके लिए राजी नहीं हुई।’

ऑल इंडिया कन्ज्यूमर प्रॉटेक्शन और ऐक्शन कमिटी के प्रेजिडेंट पारीख ने कहा, ‘हमने कई अखबारों में ऐड देकर बताया कि आंदोलन के वक्त इंटरनेट कट के बदले सर्विस विस्तार या पैसे वापस नहीं किए जाने की सूरत में हम मुफ्त में मुकदमा लड़ेंगे। अंजना को इसका पता चला और वह हमारे पास आईं।’

उधर, कोर्ट में एयरटेल का पक्ष रखते हुए वकील नेहा परमार ने कहा कि टेलिग्राफ ऐक्ट 7(बी) के मुताबिक उपभोक्ता अदालत को मकुदमे की सुनवाई का अधिकार ही नहीं है। उनका तर्क था कि केस आर्बिट्रेशन ऐक्ट के तहत फाइल होना चाहिए जो फोरम में नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि एयरटेल एक कॉर्पोरेट बॉडी है और उसने कमी, लापरवाही या गलत व्यापारिक तिकड़म के तहत सर्विसेज नहीं रोकी, बल्कि उसने सरकारे का आदेश माना।

पारीख ने कोर्ट में कहा, ‘उन्होंने (अंजना ने) (एयरटेल को) 178 रुपये अडवांस में दिए थे। कई लोगों को नुकसान हुआ होगा और कंपनी को करोड़ों का फायदा हो गया। कंपनी को उन सभी ग्राहकों को रिफंड करना चाहिए। हम गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से भी संपर्क करेंगे और उन्हें स्वतः संज्ञान लेने को कहेंगे क्योंकि इसमें कई कंपनियां संलिप्त हैं।’ मामले पर एयरटेल ने कोई कॉमेंट करने से इनकार कर दिया।

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