कैंसर चिकित्सा के क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा चिकित्सीय संस्थान एम्स एक और इतिहास रचने जा रहा है। एम्स ने जापान के साथ करार करके एक ऐसी तकनीक पर काम शुरू कर दिया है, जिसके जरिए एक ही बार में कैंसर के ट्यूमर का खात्मा किया जा सकता है। अभी तक ये तकनीक दुनिया के चुनिंदा देशों में ही उपलब्ध है।
एनसीआई के निदेशक डॉ. जीके रथ का कहना है कि कैंसर चिकित्सा में हेवी आयन रेडियोथैरेपी एक बड़ा कीर्तिमान होगा। अभी तक ये तकनीक अमेरिका में भी उपलब्ध नहीं है। जापान, चीन, इटली और जर्मनी के बाद भारत पांचवां देश होगा, जहां सरकारी अस्पताल में ये तकनीक मरीजों को उपलब्ध होगी।
आज का राशिफल, 15 फरवरी 2019, शुक्रवार
डॉ. रथ के अनुसार प्रोटॉन थैरेपी के साथ हेवी आयन थैरेपी के लिए भी करार कर लिया है। उनका कहना है कि इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन, हीलियम और सिलिकॉन से भी बड़े आर्गोन पार्टिकल बीम को ही हेवी आयन कहा जाता है।
ऑपरेशन की नहीं पड़ेगी जरूरत
कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार हेवी आयन थैरेपी आने के बाद कैंसर के मरीज को ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। न ही कार्बन रेडियोथैरेपी की तरह इसके दुष्प्रभाव हैं। बुजुर्ग कैंसर मरीजों के लिए ये तकनीक काफी फायदेमंद होगी। साथ ही पांच सप्ताह के भीतर मरीज स्वस्थ्य हो सकता है। इसके अलावा ट्यूमर के दूसरी ओर तक रेडिएशन नहीं जा सकेगा। इसका फायदा यह होगा कि मरीज के शरीर में मौजूद ट्यूमर के पीछे वाला भाग को कोई नुकसान तक नहीं होगा।
इतने सप्ताह में ठीक हो सकता है कैंसर
हेवी आयन थैरेपी के जरिए स्कल (खोपड़ी) कैंसर, सिर और गले का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और हड्डियों का कैंसर चार सप्ताह में ठीक हो सकता है। वहीं लिवर और फेफड़ों में कैंसर ग्रस्त मरीज केवल एक सप्ताह के भीतर ही इलाज लेकर घर जा सकता है जबकि अभी इन कैंसर के उपचार में मरीज को साल भर तक इलाज में लग जाता है।