
बाराबंकी जिले में श्रीराम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (SRMU) में हुए लाठीचार्ज कांड के बाद योगी सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में सख्ती बरतने का फैसला किया है। सरकार ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रियाओं की गहन जांच अनिवार्य कर दी है।

जांच की रूपरेखा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रत्येक जिले में विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने के निर्देश दिए हैं। इन टीमों में एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, एक पुलिस अधिकारी और शिक्षा विभाग का एक अधिकारी शामिल होगा। मंडलायुक्तों को हर जिले में ऐसी टीमें बनाने और जांच प्रक्रिया की निगरानी करने का आदेश दिया गया है। जांच में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा:
- सभी संस्थानों से शपथ पत्र लिया जाएगा, जिसमें उन्हें यह घोषित करना होगा कि वे केवल मान्यता प्राप्त कोर्स संचालित कर रहे हैं।
- संस्थानों द्वारा संचालित सभी कोर्सों की सूची और उनके मान्यता पत्रों की गहन जांच होगी।
- अवैध कोर्स संचालित करने या फर्जी प्रवेश देने वाले संस्थानों के खिलाफ तत्काल कठोर कार्रवाई की जाएगी।
- दोषी संस्थानों को छात्रों से ली गई पूरी फीस ब्याज सहित वापस करनी होगी, साथ ही दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
हर जिले की जांच टीम को 15 दिनों के भीतर अपनी विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंपनी होगी। मंडलायुक्त इस पूरी प्रक्रिया की सीधी निगरानी करेंगे ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो।
बाराबंकी कांड की पृष्ठभूमि
यह कार्रवाई बाराबंकी के श्रीराम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में 1 सितंबर 2025 को हुए लाठीचार्ज की घटना के बाद उठाई गई है। विश्वविद्यालय में एलएलबी कोर्स की मान्यता को लेकर छात्र और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। छात्रों का आरोप था कि विश्वविद्यालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से मान्यता समाप्त होने के बावजूद 2021 से LLB, BA LLB और BBA LLB में दाखिले लिए और कक्षाएं संचालित कीं। इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें करीब 25 छात्र और ABVP कार्यकर्ता घायल हो गए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जताई और तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए। इसके तहत:
- सिटी सर्किल ऑफिसर (CO) हर्षित चौहान को निलंबित कर दिया गया।
- नगर कोतवाली प्रभारी रामकिशन राणा और गदिया चौकी की पूरी पुलिस फोर्स को लाइन हाजिर किया गया।
- अयोध्या रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IG) प्रवीण कुमार को लाठीचार्ज की जांच का जिम्मा सौंपा गया।
- अयोध्या मंडलायुक्त गौरव दयाल को विश्वविद्यालय की डिग्री की वैधता की जांच के लिए नियुक्त किया गया।
इसके अलावा, विश्वविद्यालय पर 6 बीघे सरकारी जमीन (तालाब, नाली, चकमार्ग और बंजर भूमि) पर अवैध कब्जे का भी आरोप है। शनिवार, 6 सितंबर 2025 को प्रशासन ने विश्वविद्यालय परिसर में बने ‘एनिमल हाउस’ को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई राजस्व विभाग की जांच के बाद की गई, जिसमें कब्जे की पुष्टि हुई थी।
सरकार का रुख और विपक्ष की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर जोर दिया है। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि विश्वविद्यालय में समय पर मान्यता नवीनीकरण न होने से छात्रों का भविष्य अनिश्चित हुआ है, और अवैध वसूली जैसे मामले भी सामने आए हैं।
विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लाठीचार्ज की निंदा करते हुए इसे सरकार की नाकामी और हताशा का प्रतीक बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाए।