
जिन नेताओं की आपसी रंजिश को दिल से लगाकर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं, वही नेता चुनावी बेला में कब एक दूसरे को जादू की झप्पी डाल दें पता नहीं चलता। लोकसभा चुनाव के रण में जनता के बीच एक-दूसरे के खिलाफ राजनीतिक दुश्मनी दिखाने वाले कांग्रेस और भाजपा के नेता चुनावी मजबूरी के चलते एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। कई तो चरणवंदना की कूटनीति को अपना रहे हैं।
पिछले करीब पांच साल से कांगड़ा में कांग्रेस नेताओं सुधीर शर्मा और जीएस बाली के बीच जारी सियासी जंग लोकसभा चुनाव की मजबूरी के चलते दोस्ती में बदल गई। 15 अप्रैल को धर्मशाला सम्मेलन के मंच पर दोनों के बीच खूब हंसी ठिठोले हुए।
इससे इतर कुछ दिन पहले दिल्ली में दोनों नेताओं के बीच टिकट की जंग चरम पर थी। सुधीर शर्मा के गुट में शामिल होकर जीएस बाली को उनके ही घर में पिछले पांच साल से शक्ति प्रदर्शन कर ताकत दिखाने वाले कांग्रेस के उम्मीदवार पवन काजल बाली के पांव छूने को मजबूर हो गए।
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कांगड़ा में बाली का जनता के बीच बड़ा कद है। लोकसभा चुनाव में बाली को साथ लिए बिना जीत संभव होती न देख काजल ने गुरु और चेले का सियासी तीर चलाकर नए सियासी रिश्ते गठना ही बेहतर समझा। नगरोटा और धर्मशाला में काजल ने बाली के पांव छूकर जीत का आशीर्वाद लेने की कोशिश की।
एक दूसरे के खिलाफ खुले मंच पर बयानबाजी करने वाले वीरभद्र सिंह और सुखविंद्र सुक्खू भी अचानक तारीफों के पुल बांधने लगे। शीत युद्ध के बीच राजेंद्र राणा और सुक्खू भी एकमंच पर आ गए। धुर विरोधी रहे सुखराम और वीरभद्र सिंह को भी लोकसभा चुनाव की मजबूरी ने गले मिला दिया।
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कुछ माह पहले कांगड़ा एयरपोर्ट पर एक दूसरे पर जमकर भड़ास निकालने वाले भाजपा नेता किशन कपूर और सरवीण चौधरी अचानक एकजुट हो गए। कुछ दिन पहले शाहपुर के कार्यक्रम में सरवीण ने कपूर की जीत के लिए बड़ा महिला सम्मेलन करवा दिया। पिछले सवा साल से एक दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप के आरोपों के चलते दोनों के बीच आपसी कलह जगजाहिर थी।