इस साल उज्जवला योजना के तहत एलपीजी के स्थान पर मिलेगी ये सुरक्षित और सस्ती गैस

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के बजाए मिथेनॉल गैस के कनेक्शन दिए जाएंगे। इसके लिए नीति आयोग की अगुवाई में केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलकर काम करना शुरू कर दिया है।

उज्जवला योजना

उम्मीद की जा रही है कि अगले तीन से चार महीने में मिथेनॉल गैस से भरे सिलिंडरों की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। नीति आयोग के सदस्य और प्रख्यात वैज्ञानिक डा. वीके सारस्वत ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खाना बनाने के ईंधन के रूप में मिथेनॉल गैस का परीक्षण हो चुका है।

इस ईंधन का परीक्षण इंडियन ऑयल कारपोरेशन के अनुसंधान एवं विकास डिवीजन में करीब छह महीने तक हुआ। इस दौरान पाया गया है कि यह गैस एलपीजी के मुकाबले न सिर्फ सुरक्षित है, बल्कि इसका कैलोरिफिक वैल्यू (दहन ऊष्मा) भी एलपीजी के ही बराबर है।

साथ ही यह एलपीजी गैस के मुकाबले काफी सस्ता है। अभी 14 किलोग्राम वाले घरेलू सिलिंडर की कीमत (बगैर सब्सिडी) की कीमत करीब एक हजार रुपये पड़ती है, वहीं मेथनॉल गैस से भरे सिलेंडर की कीमत 600 रुपये ही पड़ती है।

यूपी के साथ असम भी देगा मिथेनॉल सिलिंडर  

डा. सारस्वत ने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, वाराणसी आदि जिलों की पहचान हो चुकी हैं। इन जिलों में गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले परिवारों को 20 हजार मिथेनॉल गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएंगे।

इसके लिए प्रदेश सरकार से बात हो चुकी है और इस संबंध में प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। सब ठीक रहा तो अगले तीन-चार महीने में लाभार्थी को मिथेनॉल गैस कनेक्शन उपलब्ध कराना शुरू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही असम सरकार ने भी वहां 50 हजार घरों में मिथेनॉल गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना है।

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आयात पर निर्भर है मिथेनॉल उत्पादन 

नीति आयोग के मुताबिक इस समय राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर (आरसीएफ), गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (जीएनएफसी) , असम पेट्रोकेमिकल्स और गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स लिमिटेड (जीएसएफसी) मिथेनॉल गैस का उत्पादन कर रही है।

लेकिन ये सभी कंपनियां मिथेनॉल गैस बनाने के लिए फीडस्टॉक के रूप में प्राकृतिक गैस का उपयोग करती हैं, यह गैस आयात के जरिए आती है। इस लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में जब यह गैस सस्ती होती है, तो यहां ज्यादा मात्रा में मिथेनॉल गैस बनाई जाती है और जब यह गैस महंगी होती है, तो मिथेनॉल का उत्पादन घट जाता है।

अब मेथनॉल गैस को खाना बनाने के ईंधन के रूप में इस्तेमाल किए जाने की योजना है, तो विदेशों से ही मिथेनॉल गैस का आयात किया जाएगा। इस समय अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मिथेनॉल गैस की कीमत घटकर 20 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है, जबकि एक महीने पहले ही यह 32 रुपये प्रति किलोग्राम पर थी। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही इस बारे में टेंडर जारी कर दिया जाएगा।

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बाद में कोयले से बनेगी मेथनॉल 

डा. सारस्वत का कहना है कि वर्ष 2020 तक यहां हर साल 100 लाख टन मिथेनॉल की खपत होगी। इसके लिए यहां कोयला से ही मिथेनॉल बनाने की योजना है। परियोजना के लिए कोयले की कमी नहीं पड़े, इसके लिए 14 कोयला ब्लॉक भी चिन्हित कर लिये गए हैं। इन ब्लॉकों को मिथेनॉल गैस बनाने वाली कंपनियों को आवंटित किया जाएगा।

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