पाकिस्तान की बदहाली पर हंसता पूरा संसार, इतनी इंटरनेशनल कंपनियां बिक्री की कगार पर खड़ी
बीते 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बरकरार है. हमले के बाद भारत की ओर से पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक समेत कई अन्य कठोर फैसले लिए गए हैं. इसके तहत पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया गया तो वहीं आयात शुल्क 200 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है.
इन फैसलों की वजह से आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान की कमर टूट गई है. हालत ये हो गई है कि इमरान सरकार को एयरलाइन कंपनी समेत 40 से ज्यादा कंपनियां बेचनी पड़ रही है.
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पाकिस्तान की सरकार ने सरकारी विमानन कंपनी पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) और स्टील मिल्स सहित 48 कंपनियों को बेचने का ऐलान किया है. दरअसल, पीआईए और स्टील मिल्स का घाटा 60 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है. हालांकि पाकिस्तान सरकार द्वारा गठित समिति को आशंका है कि PIA के 40 हजार करोड़ रुपये के घाटे को देखते हुए इस राष्ट्रीय विमान सेवा को कोई खरीदना पसंद नहीं करेगा.
जानकारी के मुताबिक डेढ़ साल के भीतर 7 कंपनियों की बिक्री होगी. इन सात कंपनियों में दो द्रवीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) संयंत्र हवेली बहादुरशाह और बालुकी ऊर्जा संयंत्र शामिल हैं. इसके अलावा स्टील मिल्स के निजीकरण के लिए चीन और रूस की 5 से 6 कंपनियों से बातचीत जारी है. इसे सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत बेचा जाएगा और प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता में 11 लाख से 35 लाख टन की बढ़ोतरी की जाएगी. सरकार कंपनियों को बेचने की प्रक्रिया को निजीकरण का हिस्सा बता रही है.
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कंगाली के दौर से गुजर रहा पकिस्तान कर्ज
बता दें कि पाकिस्तान पाकिस्तान सरकार पर लगभग 78.46 बिलियन डॉलर का बाह्य कर्ज है. यह कर्ज पाकिस्तान की जीडीपी का 28.3 फीसदी है. हालांकि दिसंबर 2018 के मुकाबले इस कर्ज में कमी आई है. तब पाकिस्तान पर कुल बाह्य कर्ज 99 बिलियन डॉलर का था जो कि उसकी जीडीपी का 35.8 फीसदी है. पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा में महज 8.2 बिलियन डॉलर की रकम है. जबकिसरकार का चालू खाता घाटा भी लगभग 8 बिलियन डॉलर के स्तर पर है. इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान कर्ज में किस कदर डूबा है.हालांकि हाल ही में सउदी अरब की ओर से पाकिस्तान को आर्थिक मदद जरूर मिली है.