आडवाणी, जोशी समेत कई भाजपा नेताओं के राजनीतिक सफर पर लग सकता है विराम, जानें कैसे…

लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा से पहले भारतीय जनता पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक शुक्रवार को देर रात तक चली. तीन घंटे तक हुए मंथन में 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव लड़ाने पर गंभीर विमर्श किया गया. सूत्रों के मुताबिक पार्टी आगामी चुनाव में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और बीसी खंडूरी को आराम देने के मूड में है.

आडवाणी, जोशी

इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, थावरचंद गहलोत, राम लाल और शिवराज सिंह चौहान मौजूद थे. ये सभी नेता बीजेपी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाले संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं.

बैठक के बाद पार्टी सूत्रों ने बताया कि 75 साल से ज़्यादा उम्र वाले नेताओं को बीजेपी टिकट दे सकती है लेकिन उन्हें सरकार या पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी. हालांकि पार्टी के उच्च सूत्रों का कहना है कि 75 साल से ज्यादा उम्र के जीतने वाले नेताओं को टिकट देने का ये फॉर्मूला वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और बीसी खंडूरी पर लागू नहीं होगा. यानी कि पार्टी इन नेताओं को लोकसभा चुनाव 2019 में आराम दे सकती है.

संसदीय बोर्ड की बैठक में 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव लड़ाने, राज्यसभा सांसदों और विधायकों को लोकसभा चुनाव में उतारने पर व्यापक चर्चा की गई. पार्टी ने पिछले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कई ऐसे कैंडिडट को टिकट दिए थे जिनकी उम्र 75 साल से ज्यादा थी, लेकिन उनकी चुनाव जीतने की क्षमता ज्यादा थी. पार्टी ने 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को टिकट ना देने के फैसले को कर्नाटक चुनाव में येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना कर बदल दिया था.

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लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर प्रधानमंत्री के साथ भाजपा नेतृत्व की यह पहली बड़ी बैठक थी. इस बैठक में उम्मीदवारों के लिए मानक तय करने, चुनावी माहौल का जायजा लेने और विपक्षी गठबंधनों की स्थिति पर व्यापक विचार किया गया.

कट सकते हैं मौजूदा सांसदों के टिकट

सूत्रों के अनुसार भाजपा नेतृत्व एंटी इनकम्बेंसी को रोकने के लिए कई मौजूदा सांसदों का टिकट काटने की तैयारी में है. इसी बहाने पार्टी युवा और नए उम्मीदवारों को जनता के सामने लाना चाहती है. पार्टी के अंदरूनी सर्वे में भी व्यापक बदलाव की बात सामने आई है.

इस बैठक में पार्टी ने पिछले तीन महीनों के राजनीतिक और सामाजिक घटनाक्रम पर चर्चा की. इसके अलावा भविष्य में पार्टी के क्या कार्यक्रम रहेंगे, चुनाव प्रचार की क्या रुपरेखा रहेगी इस पर भी मंथन किया गया. पिछले दिनों तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद बदले माहौल पर भी चर्चा हुई.

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सूत्रों के अनुसार पार्टी नेतृत्व का मानना है कि पुलवामा की आतंकी घटना के बाद आतंकवाद के खिलाफ सरकार की कार्रवाई से माहौल में सकारात्मक बदलाव आया है. साथ पार्टी चुनाव प्रचार में राष्ट्रीयता, पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के कैम्प, आतंकवाद, बालाकोट एयर स्ट्राइक पर फोकस करेगी. इसके अलावा विकास, मोदी सरकार की गरीब कल्याण योजनाएं भी चुनाव प्रचार में अहम एजेंडा रहेगा.

 

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