इन दिशाओं के ग्रह को जानें, इनसे आपके जीवन में बढ़ रहीं हैं परेशानियां  

 

यदि आपकी कुंडली में चन्द्र अच्छा है तो माता और वाहन आदि का सुख मिलेगा. लेकिन यदि घर में चन्द्र की दिशा दूषित है तो यह सुख कम हो जाएगा या नहीं मिलेगा, क्योंकि घर की दिशाओं में स्थित ग्रहों का अच्छा और बुरा प्रभाव पड़ता है. आओ जानते हैं.

वास्तु घर

पूर्व दिशा-

पूर्व दिशा में सूर्य ग्रह है. इस दिशा में घर का द्वार या खिड़की होना चाहिए या इसे खाली रखें. इस दिशा के दूषित होने से पिता से झगड़ा, सरकार या सरकारी नौकरी से परेशानी, मस्तिष्क दुर्बलता, ज्वर, सिरदर्द, पीलिया, नेत्र, हृदय, चर्म, क्षय एवं अस्थिरोग आदि होने की संभावना रहती है.

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आग्नेय कोण-

आग्नेय दिशा में शुक्र ग्रह है. इस दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर, रसोईघर आदि होना चाहिए. इस दिशा के दूषित होने से स्त्री सुख में बाधा, वाहन से कष्ट, श्रृंगार के प्रति अरुचि, नपुंसकता, हार्निया, मधुमेह, धातु एवं मूत्र संबंधी रोग, गर्भाशय संबधी रोग आदि हो सकते हैं.

दक्षिण दिशा-

दक्षिण दिशा में मंगल ग्रह है. इस दिशा में घर का भारी सामान रखें. यह दिशा यदि दूषित है तो गृहस्वामी को कष्ट, भाइयों से कटुता, क्रोध की अधिकता और दुर्घटनाएं बढ़ती हैं. रक्तचाप, रक्त विकार, कुष्ठ रोग, फोड़े-फुंसी, बवासीर, चेचक, प्लेग आदि रोग होने की आशंका रहती है.

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नैऋत्य कोण-

इस दिशा में राहु और केतु ग्रह हैं. घर के मुखिया का कमरा, कैश काउंटर, मशीनें आदि इस दिशा में रख सकते हैं. इस दिशा के दूषित होने से परिवार में असमय मौत, दादा या नाना से परेशानी, भूत-प्रेत, जादू-टोने का भय, त्वचा, कुष्ठ, मस्तिष्क, छूत, रक्त विकार, दर्द, चेचक, हैजे, चर्म आदि रोग होने आशंका रहती है.

 

 

पश्चिम दिशा-

पश्चिम दिशा में शनि ग्रह है. इस दिशा में रसोईघर या टॉयलेट होना चाहिए. पश्चिम दिशा में दोष है तो नौकरी में परेशानी, वायु विकार, लकवा, रीढ़ की हड्डी में तकलीफ, भूत-प्रेत का भय, चेचक, कैंसर, कुष्ठ रोग, मिर्गी, नपुंसकता, पैरों में तकलीफ आदि होने की आशंका रहती है.

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