आबादी और अनियोजित विकास व निर्माण कार्य के चलते टूटता जा रहा जलनिकासी का दम

शहर की आबादी तकरीबन चार लाख के आस पास है। इन सबके बावजूद शहर के गली मुहल्लों से लेकर मुख्य मार्गो पर जलभराव की समस्या आम है। जरा सा पानी बरसा और सड़के लबालब होने में देर नही लगती। कई मुहल्ले तो बाढ़ की तरह जलमग्न हो जाते है। वर्षो बाद भी जलनिकासी की समस्या जिम्मेदारों की सोच की पोल खोल रहा है। समय के साथ बढ़ रही आबादी और अनियोजित विकास व निर्माण कार्य के चलते जलनिकासी के लिए बने नालों का दम निकल गया है।

शहर में आवास बनाने वालों से विकास शुल्क के नाम पर खासी रकम वसूल की जाती है। निर्माण कराने से पहले नक्शा पास कराया जाता है, इसके बावजूद अनियोजित विकास शहर की सूरत बिगाड़ रही है। शहर में जलनिकासी के लिए प्रति वर्ष तकरीबन 40 लाख रूपये भी खर्च किए जा रहे है। इसके बावजूद ड्रेनेज का दम निकलता नजर आता है। यही हाल नानपारा नगर पंचायत, जरवल व रिसिया का भी है। लाखों रूपये गटर में चले जाते है और समस्या जस की तस बनी रहती है। जिम्मेदारों के दावे हकीकत से कोसो दूर नजर आते है।

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नए नालों के निर्माण कराने को लेकर उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव भेजा गया है। जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के नाली व नालों की सफाई युद्ध् स्तर पर कराई जाती है।

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