आइए जानते हैं क्या होता है यूनिकोड

कंप्यूटर का सम्बन्ध मुख्य रुप से नंबरों से होता है। कम्प्यूटर हर अक्षर और वर्ण के लिए एक नंबर निर्धारित करता है। यूनिकोड के आविष्कार से पहले, ऐसे नंबर देने के लिए बहुत सी संकेत लिपि प्रणालियां थीं लेकिन ये लिपि प्रणालियां भी आपस में विरोधी हुआ करती थी जिसके कारण यूनिकोड के आविष्कार की जरूरत महसूस हुई ताकि कंप्यूटर के इस कार्य को आसानी से किया जा सके।

यूनिकोड हर अक्षर के लिए एक विशेष नंबर प्रदान करता है, चाहे कोई भी कम्प्यूटर प्लेटफॉर्म, प्रोग्राम या कोई भी लैंग्वेज हो। यूनिकोड को बहुआयामी उपकरणों और वेबसाइटों में शामिल करने से बहुत कम खर्चा होता है। यूनिकोड से एक ऐसा सॉफ्टवेयर प्रोडॅक्ट या वेबसाइट मिल जाती है जिसे री-इंजीनियरिंग के बिना अलग-अलग प्लेटफॉर्म, लैंग्वेज और देशों में उपयोग किया जा सकता है।

इसमें डेटा को बिना किसी रुकावट के बहुत-सी प्रणालियों से होकर ले जाया जा सकता है। यूनिकोड स्टैंडर्ड को एपल, एच.पी., माइक्रोसॉफ्ट, ऑरेकल, आई.बी.एम., जस्ट सिस्टम, साईबेस, सैप, सन, यूनिसिस जैसी बहुत सी कंपनियों ने अपनाया है। यूनिकोड कैरेक्टर्स को एक कोड देता है, ये दुनिया की सभी लिपियों से सभी संकेतों के लिए एक अलग कोड बिंदु उपलब्ध कराता है।

बाएं से दाएं लिखी जाने वाली लिपियों के अलावा इसमें दाएं से बाएं लिखी जाने वाली लिपियों जैसे अरबी और हिब्रू को भी शामिल किया गया है। यूनिकोड एक कोड सारणी है। इन लिपियों को पढ़ने और लिखने के लिए इनपुट मैथड एडिटर और फोन्ट फाइलें जरुरी होती हैं। यूनिकोड की मदद से एक ही डॉक्यूमेंट में अनेक भाषाओं के टेक्स्ट लिखे जा सकते हैं। किसी भी भाषा का टेक्स्ट पूरी दुनिया में बिना क्रप्ट हुए आसानी से चल जाता है। किसी सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट का एक ही एडिशन पूरी दुनिया में चलाया जा सकता है।

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