राजस्थान में स्कूल सिलेबस में बड़े बदलाव की तैयारी, 2026-27 से लागू, मातृभाषा और भारतीय संस्कृति पर जोर

राजस्थान सरकार ने प्राथमिक से सीनियर सेकंडरी तक के स्कूल सिलेबस में व्यापक बदलाव की योजना बनाई है, जो शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू होगी।

नया पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के दिशानिर्देशों पर आधारित है, जिसमें मातृभाषा, स्थानीय भाषाओं, और भारतीय संस्कृति, इतिहास, व भूगोल को रोचक तरीके से शामिल किया जाएगा। यह बदलाव कक्षा 6 से 9 और 11 के लिए 2026-27 में, जबकि कक्षा 10 और 12 के लिए 2027-28 में लागू होगा।

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि नया सिलेबस छात्रों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़कर भविष्य के लिए तैयार करेगा। कक्षा 1 से 5 तक प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय भाषा, जैसे मारवाड़ी, ढूंढाड़ी, और मेवाड़ी, में दी जाएगी। इसके लिए जिलेवार स्थानीय बोलियों का शब्दकोष तैयार किया जा रहा है। पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, वीर दुर्गादास, सुभाषचंद्र बोस, स्वामी दयानंद सरस्वती, और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे राष्ट्र नायकों के जीवन और योगदान को शामिल किया जाएगा।

कक्षा 3 से हिंदी, अंग्रेजी, और पर्यावरण अध्ययन की किताबों में भारत और राजस्थान के महापुरुषों की मूल्य-आधारित कहानियां पढ़ाई जाएंगी। कक्षा 5 तक स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों और सामाजिक सुधारकों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। लोकतंत्र की मूल अवधारणाओं को भी प्रारंभिक कक्षाओं से सिखाया जाएगा।

नया सिलेबस NEP 2020 की 5+3+3+4 संरचना पर आधारित है, जिसमें प्री-प्राइमरी से कक्षा 12 तक शिक्षा को चार चरणों में बांटा गया है। कक्षा 6 से कोडिंग और व्यावसायिक शिक्षा शुरू होगी, और रटने की पढ़ाई कम कर मूल अवधारणाओं पर ध्यान दिया जाएगा। शिक्षकों को सालभर प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसका जिम्मा राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) को सौंपा गया है।

सिलेबस में राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत, जैसे खेजड़ी वृक्ष का बलिदान और युद्ध नायकों की कहानियां, को प्रमुखता दी जाएगी। हालांकि, स्थानीय भाषा के शब्दकोष तैयार करना और शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कुछ संगठनों ने पर्यावरण संरक्षण, जैसे यमुना नदी की स्थिति, को सिलेबस में शामिल करने की मांग की है। विपक्ष ने सिलेबस बदलाव को सांस्कृतिक गौरव के नाम पर राजनीतिक एजेंडा बताया, लेकिन सरकार ने इसे राष्ट्रीय एकता का हिस्सा करार दिया।

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