अवनि मामले में महाराष्ट्र सरकार ने हर मानक का उल्लंघन किया : सरिता सुब्रमण्यम

नई दिल्ली। इसी महीने के पहले हफ्ते में बाघिन अवनी को वन विभाग के दस्ते ने आखिरकार निशाना बना ही दिया। अवनि को अपनी हद पता नहीं थी या कहें कि वह हमारे खींचे गए जंगल के नक्शे में फिट नहीं बैठ पाई और वन विभाग ने 13 लोगों की मौत का आरोप बाघिन अवनि पर मढ़ते हुए उसे गोलियों का शिकार बना दिया।

सरिता सुब्रमण्यम

अवनि दुनिया से चली गई लेकिन अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई। क्या वन्य जीवों व मानव का रिश्ता इस तरह से चल पाएगा? अवनि की लड़ाई को बम्बई उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच व सर्वोच्च अदालत तक ले जाने वाले एनजीओ अर्थ ब्रिगेड फाउंडेशन की तरफ से याचिकाकर्ता व पर्यावरण कार्यकर्ता सरिता सुब्रमण्यम से आईएएनएस ने इस मुद्दे पर विशेष बातचीत की।

आखिरकार अवनि मौत की भेंट चढ़ गई, क्या कहेंगी आप, इस सवाल पर अर्थ ब्रिगेड फाउंडेशन की कार्यकर्ता सरिता सुब्रमण्यम ने कहा कि यह पूरी तरह से हत्या है। अवनि की हत्या की गई है। एक निरीह जानवर जिसकी तलाश कई महीनों से ट्रैप कैमरों व दूसरे उपकरणों से की जा रही थी, उसके लिए शार्प शूटर हायर किए गए और आखिरकार उसे मार दिया गया। यह पूरी तरह से बाघिन अवनि की हत्या है।

यह पूछे जाने पर कि क्या अवनि को शिकार होने से बचाया जा सकता है, क्या अवनि को पकड़ने के प्रयास में मानकों का पालन किया गया, सरिता ने कहा कि इस मामले में वन्य जीवों के लिए बने मानकों की पूरी तरह से उपेक्षा की गई। अप्रशिक्षित वेटनरी डॉक्टरों का इस्तेमाल किया गया। सही वक्त पर हािथयों का उपयोग नहीं किया गया। जो लोग अवनि को ट्रैक करने में लगे थे, वे भी अप्रशिक्षित थे। उपकरणों के इस्तेमाल में काफी हेर-फेर किया गया। स्पष्ट रूप से पूरे मानकों का उल्लंघन किया गया और अवनि को निशाना बना दिया गया।

पर्यावरण संतुलन व बाघिन अवनि की हत्या को वह कैसे देखती हैं, इस सवाल पर उन्होंने कहा, बिना वन्य जीवों के आप पर्यावरण संतुलन की कल्पना नहीं कर सकते। वन्य जीव हमारे पर्यावरण को संतुलित करने के लिए जरूरी हैं। वन्य जीवों व मानव के बीच संतुलन बना रहना जरूरी है। अवनि (टी-1) को पांढरकावडा इलाके के जंगलों में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में देखा गया था। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले का पांढरकावडा इलाका पूरी तरह अवैध चारागाह में बदल गया है। यहां पर बड़े पैमाने पर जंगलों में अतिक्रमण हो रहे हैं। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में एक निजी सीमेंट कंपनी को विस्तार दिया जा रहा है।

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सरिता ने कहा कि जाहिर है इसका असर हमारे वन क्षेत्र व जंगली जानवरों पर पड़ेगा। मनुष्य अगर वन क्षेत्र में अतिक्रमण करेगा तो जंगली जानवर अपना बचाव करेंगे। वे डर कर भी हमला कर सकते हैं। ऐसे में वन्य क्षेत्रों के अतिक्रमण को रोकना होगा और संतुलन के लिए यह जरूरी है।

अवनि की मौत के लिए आप किसे जिम्मेदार मानती हैं, इस पर सरिता ने कहा कि स्पष्ट रूप से इसमें सरकार के प्रयास में खामियां हैं। मध्य भारत का यह क्षेत्र खनिज संपदा से भरपूर है। इस क्षेत्र पर भूमाफियाओं व कोयला खनन करने वालों की नजर है। ऐसे में सरकार को वन्य जीवों को संरक्षित करने के लिए उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। अगर बाघ, तेंदुए और भालू व दूसरे जंगली जानवर जंगल में नहीं रहेंगे तो मनुष्य तो पूरा जंगल ही खत्म कर देगा। वन्य जीव हमारे लिए बेहद जरूरी हैं। सरकार को वन्य जीवों के प्रति अपने रवैये में बड़े परिवर्तन की जरूरत है।

यह पूछे जाने पर कि कहा जा रहा है कि बाघिन अवनि ने 13 लोगों की ‘हत्याएं’ की थीं, इस पर आप क्या कहेंगी, सरिता ने कहा कि इन आंकड़ों के पक्ष में कोई साक्ष्य नहीं हैं, प्रस्तुत भी नहीं किए गए हैं। इन 13 लोगों में दस के करीब शनिवार व रविवार को मारे गए थे। इससे यह भी सवाल उठता है कि मनुष्य का शिकार करने वाला जानवर क्या शनिवार व रविवार को ही हमला करता है। 13 मौतों में में से सिर्फ तीन का डीएनए टेस्ट किया गया है, जिसमें सिर्फ एक में बाघिन का डीएनए मिला है और इसमें भी यह साबित नहीं है कि यह अवनी का डीएनए है। इससे जुड़े पूरे साक्ष्य नहीं हैं। ऐसे में हम कह सकते हैं कि शायद अवनि ने एक भी व्यक्ति को नहीं मारा हो।

अवनि को पकड़ने के लिए किस तरह की प्रणाली होनी चाहिए थी, इस पर सरिता कहती हैं कि जिला प्रशासन के दबाव में महाराष्ट्र वन मंत्रालय व वन विभाग ने अवनि की हत्या के लिए नए सिरे से आदेश जारी किए। इस आदेश को लेकर काफी अस्पष्टता थी। इस आदेश में एक जगह अवनि को ट्रैंकुलाइज व पकड़ने की बात है तो इसी में एक जगह लिखा है कि अगर अवनि नहीं पकड़ी जाती है तो मार दिया जाए।

उन्होंने कहा कि इस आदेश को अगस्त 2018 में एक के बाद एक तीन मौतों के बाद मंजूरी दे दी गई। यह तीनों मौतें छह महीने से ज्यादा के अंतराल पर हुई हैं। राज्य सरकार ने वन्य जीव को पकड़ने के लिए सभी मानकों का उल्लंघन किया है। राज्य सरकार को अवनि के लिए शार्प शूटर नहीं रखना चाहिए था, बल्कि विशेष रूप से प्रशिक्षित लोगों की मदद लेनी चाहिए थी। राज्य सरकार की नाकामी को लेकर अवनि के प्रति लोगों में नाराजगी पैदा हुई।

तो, क्या माना जाए कि अवनि की हत्या राज्य सरकार की विफलता है, इस पर वन्य जीव कार्यकर्ता ने कहा कि अवनि की हत्या सिर्फ राज्य सरकार ही नहीं, मानव समाज व देश की नाकामयाबी को दिखाती है। बेशक मानव जीवन महत्वपूर्ण है, लेकिन वन्य जीव हमारे पूरक हैं। साफ हवा, पानी अगर हमें मिल रहा है तो इसमें वन्य जीवों का योगदान है, जिसे आप नकार नहीं सकते।

अवनि व दूसरे वन्य जीव आबादी वाले इलाकों में जा रहे हैं, इस समस्या को वह कैसे देखती हैं, इस पर उन्होंने कहा कि अवनि की मौत में राजनीतिक दबाव भी शामिल है। इस तरह से वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास से बाहर आना औद्योगिक, वाणिज्यिक क्षेत्रों के निहित स्वार्थ का नतीजा है, जिसका निशाना अवनि बनी है। इस हत्या के पीछे की वजह में बहुत ज्यादा संभावना प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फारेस्ट (पीसीसीएफ) की दी गई रिपोर्ट भी है, जिसकी वजह से अवनि को मौत का शिकार बनना पड़ा।

पीसीसीएफ की रिपोर्ट में क्षेत्र के कठिन हालात का हवाला देकर अवनि को पकड़ने में असमर्थता की बात कही गई और शार्प शूटर को बुलाया गया और अवनि को मार गिराया गया।

सरिता ने कहा कि अवनि के शावकों को अभी पकड़ा नहीं जा सका है। सरकार की जिम्मेदारी है कि उन्हें सुरक्षित करे।

उन्होंने कहा कि अवनि का शिकार बनना प्रमुख रूप से राज्य सरकार की नाकामयाबी है। वन्य जीवों को पकड़ने के लिए प्रशिक्षित लोगों व नई तकनीकी की जरूरत है। इसके लिए प्रशिक्षण जरूरी है जो शायद ही विभाग सही से दे पाता है। वन्य जीवों को मार गिराना उनका संरक्षण नहीं हो सकता। ऐसे में इस मामले में सरकार विफल रही है।

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