लंबे समय के बाद खत्म हुआ कर्मचारियों और डीएफओ का विवाद

रिपोर्ट- अनिल सनवाल, अल्मोड़ा

अल्मोड़ा। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में लंबे समय से कर्मचारियों और डीएफओ पंकज कुमार के बीच चल रही तनातनी आखिरकार डीएफओ पंकज कुमार के स्थांतरण के बाद खत्म हो गई। स्थांतरण की सूचना के बाद डीएफओ पंकज कुमार ने मीडिया से बात करते हुए तबादले को हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना बताया है।

उन्होंने बताया कि किसी भी अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी का स्थान्तरण सिविल सर्विसेज बोर्ड की बैठक में उस अधिकारी का पक्ष सुनने के बाद ही किया जाता है। वहीं भारतीय वन सेवा की संशोधित नियमावली 2014 के अंतर्गत यह प्रावधान है कि किसी भी वन सेवा के अधिकारी का 2 साल से पहले तबादला नहीं किया जा सकता।

अगर विशेष परिस्थितियों में किसी अधिकारी का तबादला 2 साल से पहले किया जाना है तो सिविल सर्विसेज बोर्ड की बैठक बुलाकर उस अधिकारी का उसमें पक्ष सुना जाएगा तभी उसका तबादला किया जा सकता है ।उन्होंने कहा कि पूर्व में भी तत्कालीन जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव की शिकायत को आधार बनाते हुए शासन ने बिना किसी बोर्ड की बैठक बुलाए उनका स्थानांतरण 2 साल से पहले ही कर दिया था।

जिसको उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी हाई कोर्ट ने उनके तबादले को नियम विरुद्ध मानते हुए दोबारा अल्मोड़ा डीएफओ का चार्ज संभालने के आदेश दिए । लेकिन डीएफओ का दोबारा चार्ज संभाले उनको कुछ ही महीने हुए थे कि एक बार फिर उनका तबादला कर दिया गया है। जो कि हाइकोर्ट के आदेशों की अवहेलना है।

वहीं डीएफओ पंकज कुमार ने कहा की वन संरक्षक कार्यालय में तैनात प्रशासनिक अधिकारी महेंद्र वर्मा ने अपने उच्च अधिकारियों के संरक्षण में मेरे कर्मचारियों को भड़काकर मेरे खिलाफ षड्यंत्र रच कर राजकीय कार्य को प्रभावित करने की साजिश की है। राजकीय कार्य में बाधा पहुंचाने वाले प्रशासनिक अधिकारी महेंद्र वर्मा सहित अन्य के खिलाफ उनकी तरफ से एसएसपी और डीएम को लिखित पत्र भेजकर इनके खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।

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