राम मंदिर विवाद- अयोध्या में थोड़ी देर में सुनवाई, आज आखिरी सुनवाई की उम्मीद

अयोध्या मामले में फैसले का इंतजार कर रहे लोगों को ये जान लेना चाहिए कि इसमें एक और चीज अपनी भूमिका अदा कर सकती है. वो है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ.अब ये क्या बला है. जी हां, ये तो तय है कि 40 दिन की पूरी सुनवाई के दौरान सबसे ज्यादा जिस शब्द ने चौंकाया होगा वो है लीगल टर्म यानी कानूनी जुमला, तो यही है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ. आइए हम बताते हैं कि आखिर ये मोल्डिंग क्या है.

राम मंदिर विवाद

कोर्ट में कोई भी फरियादी अपनी एक मांग लेकर जाता है, जिसके मिलने को वो इंसाफ मिलना कहता है. अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हिंदू-मुसलमान यानी मंदिर और मस्जिद के पैरोकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. सभी पक्षकारों का कहना था कि उन्हें पूरी विवादित जमीन चाहिए. वे ही असली मालिक हैं. उनका ही अधिकार और कब्जा होना चाहिए.

कोर्ट ने मामला सुना भी. लेकिन अब ये मामला चूंकि काफी संवेदनशील है लिहाजा कोर्ट ने सोचा है कि इंसाफ पूरे अर्थों में हो भी और सभी पक्षों को इसका अहसास भी हो. इसलिए सबका ध्यान रखकर इंसाफ कैसे हो, तभी ये प्रावधान किया गया.

राम मंदिर विवाद- अयोध्या में थोड़ी देर में सुनवाई, आज आखिरी सुनवाई की उम्मीद

अब कोर्ट ने खुद संकेत दिया कि सभी पक्षकारों को सुनने के बाद वह मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर भी चर्चा करेगा. दरअसल, मोल्डिंग ऑफ रिलीफ का प्रावधान सिविल सूट वाले मैटर के लिए होता है. खासकर मालिकाना हक यानी टाइटल सूट डिक्री के सिलसिले में.

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