
ठंड के मौसम में अमरूद की आवक बढ़ जाती है. अमरूद को कई जगह बीही और जामफल भी बोला जाता है. बाजार में सफेद और लाल या हल्का गुलाबी दोनों तरह के अमरूद मिलते हैं. सफेद और लाल कहने का मतलब इनका गूदा सफेद या गुलाबी होता है. पकने के बाद सफेद अमरूद का गूदा थोड़े पीले रंग का हो जाता है.
आयुर्वेद के अनुसार अमरूद पेट साफ कर कब्ज दूर करने में अच्छा माना जाता है.
भोजन के बाद अमरूद खाने से खाना अच्छी तरह पच जाता है जबकि भोजन के पहले भोजन के बाद खाने से पाचन क्रिया सुधारता है और भोजन के पहलने खाने से अतिसार में लाभकारी होता है.
गुलाबी, सफेद, बीज वाले और बिना बीज वाले व बहुत मीठे और खट्टे-मीठे प्रकार के अमरूद आमतौर पर देखने को मिलते हैं.
सफेद की अपेक्षा लाल या गुलाबी रंग के अमरूद ज्यादा गुणकारी माने जाते हैं. जबकि सफेद गूदे वाले अमरूद अधिक मीठे होते हैं.
अमरूद खाने के ये हैं फायदे
अमरूद में पानी 89.9, कार्बोहाइड्रेट 14.9, प्रोटीन 1.5, वसा 1.2, खनिज-लवण 1.8 प्रतिशत पाए जाते हैं. इसके अलावा ये पर्याप्त मात्रा में विटामिन C, कैल्शियम, फास्फोरस व आयरन भरपूर होते हैं. अमरूद के पत्तों में राल, वसा, काष्टोज, टेनिन, उड़नशील तेल और खनिज लवण पाए जाते हैं.
– जिनका शरीर ठंडा होता है या जिनका पाचन कमजोर है. ऐसे लोगों को अमरूद ज्यादा नहीं खाना चाहिए.
– कमजोर पाचन वाले लोग अमरूद के बीज को पचा नहीं पाते हैं जिससे उन्हें एपेन्डिसाइटिस रोग हो सकता है. इसलिए ऐसे लोगों को अमरूद का बीज वाला गूदा खाने से बचना चाहिए.
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– जिन लोग को पेट दर्द की शिकायत होती है उन्हें नमक के साथ पके अमरूद खाना चाहिए. दिन में दो बार सेवन करना चाहिए. एक बार में एक मध्यम आकार अमरूद ही खाएं.
– जिन लोगों को कब्ज की शिकायत होती है उन्हें सुबह-शाम अमरूद का सेवन करना चाहिए. अमरूद को काली मिर्च, काला नमक, अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस, अफारा की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जाएगी.
– सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर में फायदा होता है.
– जिन लोगों को सूखी, कफ वाली खांसी और कूकर खांसी की शिकायत है उन्हें गर्म रेत में अमरूद भूनकर खाने से लाभ होगा. यह नुस्खा दिन में तीन बार अपनाएं.
– ज्यादातर लोगों को आधे सिर के दर्द की शिकायत होती है. ऐसे में उन्हें कच्चे अमरूद को पीसकर माथे पर लेप करना चाहिए.
– जो लोग मुंह के छाले से परेशान रहते हैं. उन्हें अमरूद के पत्ते पर कत्था लगाकर पान की तरह चबा-चबाकर खाना चाहिए.